मोना लीसा के राज खोलती जुड़वां बहन
३१ मार्च २०१२हालांकि दोनों "बहनों" को एक साथ प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है. थोड़ी देर के लिए उन्हें पेरिस के लूवे म्यूजियम में साथ में जरूर टांगा जाता है ताकि कला को बारीकी से देखने वाले दोनों तस्वीरों में फर्क और समानता समझ सकें. लेकिन आम तौर पर नई वाली पेंटिंग को थोड़ी दूर पर लगाया गया है. यह दूसरी पेंटिंग भी मामूली नहीं है. हू-ब-हू पहली वाली मोना लीसा से मिलती दूसरी तस्वीर भी लियानार्डो डा विंची के काल में ही तैयार की गई है. समझा जाता है कि उनके किसी शिष्य ने यह पेंटिंग बनाई है.
बरसों गुमनामी में रहने के बाद पिछले महीने ही स्पेन के एक म्यूजियम ने इस तस्वीर को बाहर निकाला है. इससे पहले इसके बारे में जानकारी 1819 तक ही थी. पेंटिंग को देखने समझने वाले लोगों का कहना है कि हो सकता है कि यह पेंटिंग असली तस्वीर के साथ साथ तैयार की गई हो. नई पेंटिंग के वजूद में आने के बाद मोना लीसा के तैयार होने की तारीख भी दोबारा चर्चा में आ गई है. कहा जाता रहा है कि मोना लीसा की पेंटिंग 1503 और 1505 के बीच तैयार हुई. लेकिन अब कहा जा रहा है कि इसे 1519 के आस पास बनाया गया.
नई तस्वीर में महिला के पीछे पहाड़ियों और मकानों की छाप ज्यादा साफ दिखाई दे रही है. रंग बहुत तरतीब से उकेरे हुए दिख रहे हैं. दोनों में वैसा ही फर्क नजर आ रहा है जैसा साधारण कैमरे और एचडी कैमरे से लिए गए तस्वीरों में होता है. यूं तो मोना लीसा की नकल हजारों लाखों कलाकारों ने की है लेकिन इन दोनों तस्वीरों जैसी समानता पहले कभी नहीं दिखी.
दोनों पेंटिंग में अंगुलियों की जगह और चेहरे के भाव में फर्क है लेकिन इस बात पर दो राय नहीं कि दोनों एक ही समय में बनाई गई हैं. फ्रांसीसी प्रेस ने दो संभावित पेंटरों के नाम दिए हैं, गियाकोमो कापरोती और फ्रांसेस्को मेलजी. कापरोती को सलाई नाम से भी जाना जाता है और कहा जाता है कि लियानार्डो डा विंची ने उन्हें गोद ले लिया था. यह भी चर्चा रही है कि दोनों के बीच अंतरंग रिश्ते रहे थे. कुछ जगहों पर यह भी चर्चा है कि दोनों शिष्यों ने अपने अपने तरीके से पेंटिंग तैयार की होगी ताकि उनके बीच इस आधार पर श्रेष्ठता आंकी जा सके.
नई वाली पेंटिंग भी पहली वाली की ही तरह छोटे से लकड़ी के फ्रेम में तैयार की गई है. पेरिस के लूवे म्यूजियम में इस पेंटिंग को 25 जून तक प्रदर्शित किया जाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एन रंजन