यूं सबका चहेता बन गया मारियो
५ अक्टूबर २०१०सुपर मारियो में इतने सालों में भले ही खूब बदलाव आए हों, लेकिन एक चीज है जो अभी तक नहीं बदली: वो है उसकी आवाज. अमेरिकी अभिनेता चार्ल्स मार्टीनेट 1996 से मारियो को अपनी आवाज देते आए हैं. हालांकि उन्होंने निनटेन्डो कंपनी से मारियो को अपनी आवाज देने का वादा तो अस्सी के दशक में ही कर दिया था लेकिन उस समय की तकनीकी समस्याओं के कारण यह 1996 में ही संभव हो पाया.
पिछले पंद्रह सालों से चार्ल्स मार्टीनेट की आवाज में मारियो के 'युहू' और 'मामा मिया' बेहद लोकप्रिय रहे हैं. हालांकि मारियो को एक इतालवी प्लंबर के रूप में दर्शाया गया है लेकिन मार्टीनेट ने कभी भी अपनी आवाज में इतालवी लहजा लाने की कोशिश नहीं की.
पिछले कुछ सालों में उन्होंने मारियो के भाई लुइगी और उसके दुश्मन वारिओ को भी अपनी आवाज दी है. मार्टीनेट का मानना है कि यह सब किरदार बिलकुल आम इंसानों जैसे हैं और वैसी ही भावनाएं दिखाते भी है. "कभी हम मारिओ की तरह खुशमिजाज होते हैं, कभी लुइगी की तरह डरे हुए और कभी वारियो जैसे बुरे. मारियो शेक्सपियर के हैमलेट जैसा है, हम उसे महसूस कर सकते हैं."
क्यों बना मारियो
मार्टीनेट ने जब पहली बार मारियो को अपनी आवाज दी थी तो यह बिलकुल नहीं सोचा था कि वह उनके जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा. उन्ही की तरह निनटेन्डो कंपनी ने भी यह नहीं सोचा था कि मारियो इतनी ऊंचाइयों को छू सकेगा. बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि जब जापानी कंपनी निनटेन्डो ने पहली बार अमेरिका में मारियो गेम शुरू की थी तब वो यह सोच रहे थे कि शायद इसे कोई भी नहीं खरीदेगा.
उस समय मारियो की रचना सिर्फ इसलिए की गई थी क्योंकि उनके पास उस समय सड़क पर लगने वाली गेम की मशीनें अधिक संख्या में थीं. उन्हें कूड़े के भाव बेचने से रोकने के लिए मारियो बनाया गया.
और अमेरिका में जब मारियो का 'डौंकी कौंग' आया तो उसकी मशीनें हाथोंहाथ बिक गईं. मारियो मिकी माउस से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया और देखते ही देखते अमेरिका में उसकी 60,000 मशीनें लग गई. अब तक मारियो की बीस करोड़ गेम्स बिक चुकी हैं. यह किसी भी गेम का अब तक का रिकॉर्ड है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन एस गौड़