यूक्रेन संघर्ष: जान बनाम जज्बात
फोटो जर्नलिस्ट फिलिप वारविक ने यूक्रेन में छिड़े संघर्ष की कुछ जबरदस्त तस्वीरें खींची हैं. इन तस्वीरों में यूक्रेन के संघर्ष को मानवीय नजरिए से दिखाया गया है.
डेबाल्टसेव से बाहर
यूक्रेन के सैनिकों ने डेबाल्टसेव शहर को अजीब मनोस्थिति के साथ छोड़ा. यह शहर रूस समर्थक विद्रोहियों के नियंत्रण में जा चुका है. वहां से वापस लौटते हुए एक यूक्रेनी सैनिक ने कहा, "मैं कभी नहीं भूलूंगा कि हमने उसे वहां छोड़ दिया."
खुशी के आंसू
डेबाल्टसेव से 50 किलोमीटर दूर आने के बाद यूक्रेन के सैनिकों ने एक दूसरे को गले लगाया. कुछ तो बारूदी सुरंगों से बचने के लिए यहां तक पैदल आए. 15-20 किलोमीटर पैदल चलने के बाद आर्तेमिव्सक पहुंचे एक सैनिक ने कहा, "उन्होंने हमें घेर लिया था. हमारा गोला बारूद भी बहुत कम बचा था. हम बड़ी मुश्किल से भागे."
जिंदा हूं मैं
आर्तेमिव्सक के बाहरी इलाके में पहुंचकर एक यूक्रेनी सैनिक ने बस स्टॉप पर कुछ देर आराम किया और अपने परिवारजनों को टेलीफोन किया. संघर्ष के दौरान दोस्तों और परिवार से संपर्क करना मुश्किल था.
जो बिछड़ गए
यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने बुधवार को बताया कि डेबाल्टसेव से वापसी के दौरान छह सैनिक मारे गए. आर्तेमिव्सक में एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर बाद तक 30 शव आए. डर है कि यह सिससिला जारी रहेगा.
सोच में डूबे
रास्ते में रुका यूक्रेनी सेना का काफिला. एक ट्रक का सामने वाला शीशा बदला जा रहा है. इसी दौरान एक युवा सैनिक सोच में डूबा है. यूक्रेन के सैनिक डेबाल्टसेव से वापसी के लिए सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार मान रहे हैं.
सुरक्षा के लिए वापसी
डेबाल्टसेव छोड़ती हुई यूक्रेन की सेना. अब इलाके में नई सुरक्षा रेखा बनाई जाएगी. रक्षा तंत्र नए सिरे से खड़ा किया जाएगा. लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि रूस समर्थक विद्रोही आर्तेमिव्सक की तरफ बढ़ते रहेंगे.
अपने ही देश में शरणार्थी
अलेक्जांड्रा इवानोवना और उनका परिवार डेबाल्टसेव के यूक्रेनी चेकप्वाइंट से 35 किलोमीटर दूर है. वे दूसरे इलाके की तरफ जा रहे हैं. जान बचाने के लिए उन्होंने दो हफ्ते पहले घर छोड़ा. उनके साथ एक बच्चा और तीन हफ्ते का एक शिशु. अलेक्जांड्रा पूछती हैं, "हम कहां जाएं?"
जान बनाम जज्बात
डेबाल्टसेव से 10 किलोमीटर दूर बसे लुगांस्क में हाल ही में बमबारी हुई. गेनादिय यहीं रहते हैं. उनके मुताबिक यहां कई लोग मारे गए. उनके घर वाली सड़क पर अब कोई और नहीं रहता. वो घर, बकरियां और अपनी गाय नहीं छोड़ना चाहते. थोड़ी बहुत आय दूध बेचकर होती है.
खंडहर बनती इमारतें
पॉलिथीन शीट से ढंकी गई ये इमारत लुगांस्क के स्कूल की है. बच्चे अब यहां नहीं आते. एक टीचर जब यहां आईं और उन्होंने इमारत को इस हाल में देखा.
मलबा ही मलबा
कुछ कक्षाओं में बच्चों की बनाई पेटिंग्स देखी जा सकती है. कभी बच्चों की चहचहाट से गूंजने वाले इस स्कूल में सन्नाटा पसरा है. मतबे के साथ साथ यूक्रेनी सेना के टिन और खाली फूड कैन बिखरे हैं.
पाठशाला उजड़ी
स्कूल के स्पोर्ट्स हॉल के बीचों बीच एक पिंग पॉग टेबल. यहां खेलने वाले ज्यादातर बच्चे अब इलाका छोड़कर जा चुके हैं.