यूरोप का पर्यावरण नगर हैम्बर्ग
१ दिसम्बर २०१०ध्यान इस बात पर भी होता है कि इस शहर को दूसरों के लिए आदर्श माना जा सके. 2011 का पर्यावरण नगर चुना गया है हैम्बर्ग को.
जर्मनी के हैम्बर्ग में 18 लाख लोग रहते हैं. बर्लिन के बाद हैम्बर्ग जर्मनी का सबसे बडा शहर है और हैम्बर्ग का बंदरगाह रॉटरडाम के बाद यूरोप का दूसरा सबसे बडा बंदरगाह है. एल्ब नदी और उत्तरी सागर की वजह से हैम्बर्ग में हमेशा हवा बहती है. इसलिए अधिकारियों ने हैम्बर्ग की ताजा हवा बचाने को हमेशा एक बहुत अहम लक्ष्य समझा. हैम्बर्ग के पर्यावरण आयुक्त क्रिस्टियान मास इस बात पर जोर देते हैं कि शहर के लोग आसानी से बस या मेट्रो से काम पर जा सकते हैं. शहर में सार्वजनिक यातायात यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की इतनी सुविधाएं हैं कि कार की जरूरत ही नहीं है.
यूरोपीय आयोग पर्यावरण नगरी का खिताब देने में तीन चीज़ों पर ध्यान देता है. सबसे पहले वह देखता है कि दावेदार शहरों में पर्यावरण संरक्षण के लिए किस तरह के प्रयास किए गए हैं. यानी हवा प्रदूषण और बहुत शोर की वजह से ध्वनि प्रदूषण को कम करने में कितनी सफलताएं प्राप्त हुई हैं और फिर जलवायु संरक्षण के लिए किस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ साथ यह भी देखना जरूरी है कि भविष्य के लिए शहर के क्या ख्याल और योजनाएं हैं. और तीसरा पहलू है कि एक शहर ऐसा क्या करना चाहता है जिससे न सिर्फ पूरे यूरोप के लोगों में बल्कि नगर पालिकाओं में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता बढे़ और सब एक सामान लक्ष्य को पाने के लिए मिल झुलकर काम करें.
हैम्बर्ग में ग्रीन पार्टी सत्ताधारी गठबंधन में शामिल है और हैम्बर्ग को जर्मनी में राज्य का दर्जा हासिल है. हैम्बर्ग इस बात पर गर्व करता है कि वहां वर्षों से जलवायु संरक्षण के लिए काम होता रहा है और हर साल 2,5 करोड़ यूरो यानी डेढ़ अरब रुपये इस मकसद के लिए खर्च किए जाते हैं. उदाहरण के लिए पुराने घरों के दीवारों को एनर्जीप्रूफ किया गया है ताकि ज्यादा ऊर्जा की खपत न हो. साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए नागरिकों और उद्योगपतियों को सिखाया जाता है कि वह कैसे ऊर्जा की बचत कर सकते हैं. साल में कई बार रविवार को कार चलाना मना है. वैसे इस तरह के रविवार को बस, ट्रैम, मेट्रो या ट्रेन में चलने वालों को टिकट भी नहीं खरीदनी पड़ती है और वह नाव से भी एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं. फिर भी पर्यावरण विशेषज्ञ क्रिस्टियान मास के मुताबिक कई ऐसी चीजें हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है. वो कहते हैं," मुझे हमेशा जलन सी होती है जब मैं एम्सटरडैम या कोपेनहेगन जाता हूं क्योंकि इन दोनों शहरों ने पिछले दो तीन दशकों में साइकल चलाने वालों के लिए आदर्श काम किया है. वहां पर एक तिहाई लोग साइकल से काम पर जाते हैं. यह हमारा भी लक्ष्य होना चाहिए."
इन सभी प्रयासों के बावजूद कई संस्थाओं का मानना है कि हैम्बर्ग में कई योजनाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए. उदाहरण के लिए शहर के बिल्कुल करीब जर्मनी के सबसे बडे कोयला बिजली घरों में से एक का निर्माण हो रहा है. और यह निवेश तब हो रहा है जब कोयले पर नहीं बल्कि दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऊर्जा स्रोतों पर दुनियाभर में चर्चा गर्म है. साथ ही एल्ब नदी को और भी गहरा किया जा रहा है ताकि भविष्य में बड़े कंटेनर यानी मालवाहक पोत हैम्बर्ग के बंदरगाह पहुंच सके. पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय संस्थाओं इसलिए मानना है कि आर्थिक कारणों को पर्यावरण से ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है. पर्यावरण संस्था बेऊऐनडे के मांफ्रेद ब्राश का कहना है, "शोर का स्तर शहर के अंदर बढ़ता ही जा रहा है. एक लाख से भी ज्यादा लोग ऐसी गलियों में रह रहे हैं जहां पर शोर की वजह से रहना स्वास्थ्य के लिए हनिकारक हो सकता है. इसकी वजह से जीवन स्तर पर बहुत ही ज्यादा असर पडता है."
इसके साथ साथ हैम्बर्ग उन जर्मन शहरों में से है जहां अभी कचरे को अलग करने और उसे रीसाईकिल करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसलिए पर्यावरण संरक्षक आलेक्सांद्र पोर्श्के का कहना है कि हैम्बर्ग को मिले यूरोपीय पर्यावरण नगरी के खिताब को एक प्रेरणा के रूप में देखना चाहिए. अब कमजोरियों पर काबू पाया जाए. आलेक्सांद्र कहते हैं,"एक कहावत है कि अंधों के बीच काना राजा. मैं इसके जरिए यह कहना चाहता हूं कि हैम्बर्ग को कई क्षेत्रों में और काम जरूर करना है. लेकिन शायद दूसरे यूरोपीय शहरों का हैम्बर्ग के मुकाबले और भी खराब प्रदर्शन रहा है. और इस बात का अब हमें लाभ मिल रहा है कि हम दशकों से पर्यावरण के मुद्दे को महत्व दे रहे हैं."
वैसे, 2009 में जब पहली बार यूरोपीय पर्यावरण नगर घोषित किया गया, तब यह सम्मान स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम को मिला था.
रिपोर्टः एजेंसियां/ प्रिया एसेलबॉर्न
संपादनः एन रंजन