यूरोप के साथ मजबूत साझीदारी चाहते हैं रूसी राष्ट्रपति
१ दिसम्बर २०१०रूस की जनता को आपने सालाना संबोधन में राष्ट्रपति ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ मजबूत साझीदारी बनाने की बात कही. शीत युद्ध की समाप्ती के साथ ही सोवियत संघ के बिखरने के दो दशक बाद रूसी राष्ट्रपति ने इन देशों के साथ करीबी रिश्ता बनाने की बात कही है. मेदवेदेव ने कहा अगर मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाने में सहयोग करने के लिए पश्चिमी देशों का प्रस्ताव ठोस करार में नहीं बदलता तो तनाव बढ़ सकता है और तब मजबूरन रूस को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ानी पड़ेगी.
मेदवेदेव की इस चेतावनी में रूस की चिंता झलक रही है. रूसी राष्ट्रपति और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में परमाणु हथियारों को सीमित करने के लिए करार किया है. स्टार्ट नाम के इस करार को अमेरिकी सीनेट से मंजूरी मिलने पर अभी अनिश्चितता बनी हुई है. दोनों देशों की बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में इस करार को अहम माना जा रहा है. राष्ट्रपति ओबामा चाहते हैं कि इस करार को सीनेट में उनकी डेमोक्रैटिक पार्टी का बहुमत खत्म होने से पहले ही पास कर दिया जाए. नए चुने गए सीनेट सदस्य अगले साल की शुरुआत में अपना कार्यभार संभाल लेंगे.
मेदवदेव ने कहा,"आने वाले दशक में हमारे पास दो रास्ते होंगे या तो हम मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर सहमति बना कर आपसी सहयोग की ओर बढ़ेंगे या फिर हथियारों की एक नई दौड़ शुरू होगी." रूसी राष्ट्रपति ने ये भी कहा,"हमें नए घातक हथियारों की तैनाती के बारे में भी फैसला करना होगा. ये साफ है कि परिस्थितियां गंभीर होंगी."
संसद सदस्यों और कैबिनेट सहयोगियों के सामने दिए मेदवेदेव के 72 मिनट के भाषण ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर नाटो और अमेरिका के साथ चल रही बातचीत की संवेदनशीलता बढ़ा दी है. इस मसले ने पिछले तीन दशकों से रूस और पश्चिमी देशों के बीच दिवार खड़ी कर रखी है. मेदवेदेव ने नाटो सम्मेलन में मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर सहयोग के लिए सहमति दे दी है लेकिन आगे की योजना कैसी होगी ये अभी तय नहीं है. रूस ने चेतावनी दी है कि खतरों और उनके लिए जवाब तय करने में उसे बराबर की भूमिका चाहिए. रूस ने ये भी कह दिया है कि अगर अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम उसकी सुरक्षा के लिए खतरा हुआ तो वो स्टार्ट से बाहर हो जाएंगे.
ब्लादिमीर पुतिन के बाद देश की सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद से ही मेदवेदेव ने पश्चिमी देशों और खासतौर से अमेरिका के साथ मजबूत रिश्तों की वकालत की है. मेदवेदेव ने राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीने बाद ओबामा की तरफ से आए संबंधों में सुधार के प्रस्ताव को आगे बढ़कर स्वीकार किया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़