यूसुफ की वापसी और पीसीबी की फजीहत
४ अगस्त २०१०साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सफेद चेहरे में पुती पाकिस्तानी क्रिकेट टीम जब सारे मैच गंवा के लौटी, तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने सफाई अभियान शुरू किया. हार से बड़ी बात मैच फिक्सिंग और टीम की अनुशासनहीनता को बताया गया. दो सबसे दिग्गज खिलाड़ियों पर अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी लगा दी गई और पांच पर पाबंदी और जुर्माना लगाया गया. बात बहुत पुरानी नहीं है, इसी साल 10 मार्च की है.
लेकिन पांच महीने के अंदर ही सारी पाबंदी हवा हो गई. सारा जुर्माना लापता हो गया. मोहम्मद यूसुफ को बड़ी पैरवी कर टीम में वापस लाया गया है. पाबंदी के बाद 35 साल के यूसुफ ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया. लेकिन उनका संन्यास तुड़वाते हुए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें टीम में बुलाया है. तर्क दिया गया कि टीम की बैटिंग मजबूत करनी है और इसके लिए किसी अनुभवी बल्लेबाज की जरूरत है. लेकिन शायद बोर्ड ने पांच महीने पहले यह बात सोची होती तो उसकी आज यह बदनामी न होती.
पाकिस्तान के धुरंधर ओपनर रह चुके आमिर सुहैल जब कहते हैं कि पाकिस्तान बोर्ड पीसीबी इससे हंसी का पात्र बनता जा रहा है, तो शायद गलत नहीं कहते. आखिर ऐसे फैसले का क्या मतलब, जो कायम ही नहीं रखा जा सके. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने जब अपने खिलाड़ियों के खिलाफ सख्त फैसला किया था, तभी इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि यह ज्यादा दिनों के लिए नहीं होगा.
यूसुफ से पहले यूनुस. पाकिस्तान को दूसरा वर्ल्ड कप दिलाने वाले दूसरे खान यूनुस खान पर भी अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध लगा था. लेकिन खुद बोर्ड ने उसे वापस ले लिया और अब वह राष्ट्रीय टीम में खेल सकते हैं. यह बात अलग है कि यूसुफ और यूनुस के टकराव की वजह से दोनों को एक साथ टीम में रखा जाना मुश्किल है और फिलहाल बोर्ड ने पाकिस्तान के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज यूसुफ पर भरोसा किया है.
जिन खिलाड़ियों पर जुर्माना ठोंका गया, वह भी आज खेल रहे हैं. बड़ी इज्जत के साथ. सबसे पहले शाहिद अफरीदी. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गेंद को चबाते पाए गए अफरीदी को छह महीने के प्रोबेशन पर रखा गया और भारी भरकम जुर्माना ठोंका गया. लेकिन इसके फौरन बाद जब ट्वेन्टी 20 वर्ल्ड कप की बारी आई, तो उसी अफरीदी को कप्तान बना दिया गया. बाद में उनका जुर्माना माफ. इतना ही नहीं, उन्हें बाद में टेस्ट मैचों की कप्तानी का भी जिम्मा सौंपा गया और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में टीम की अगुवाई उन्हीं को दी गई. लेकिन अफरीदी ने खुद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया.
विकेटकीपर कामरान अकमल और उनके भाई उमर अकमल पर मैच फिक्सिंग जैसे संगीन आरोप लगे. लेकिन बोर्ड को कोई और कीपर नहीं मिला तो कामरान को काम पर लगा दिया गया. दोनों भाई राष्ट्रीय टीम में शामिल हैं और इंग्लैंड में खेल रहे हैं.
फिर बात सानिया मिर्जा के पति शोएब मलिक की. मलिक को एक औसत दर्जे का क्रिकेटर और बड़े कनेक्शन वाला शख्स माना जाता है. पता नहीं, इनमें से किसने क्या रोल अदा किया लेकिन टीम में उनकी भी वापसी हो गई है. उन्हें भी पाकिस्तान के राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में जगह मिल गई है.
रही बात नावेद उल हसन की, तो क्या मोहम्मद आमेर, मोहम्मद आसिफ और उमर गुल जैसे गेंदबाजों के रहते पाकिस्तान क्रिकेट टीम को राना नावेद जैसे कामचलाऊ गेंदबाज की जरूरत है?