योग का बाज़ारीकरण
३० दिसम्बर २००९योग के बाजार का टर्नओवर सदी की शुरुआत में 1 अरब डॉलर से बढ़कर 25 अरब डॉलर के पार हो चुका है!
आखिर क्या कारण है कि भारत की अपेक्षा तमाम विवादों के बावजूद पश्चिमी देशों में योग के प्रति लोग पहले से ज्यादा जागरूक हो चले हैं? क्या सच में ही उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है, क्या सच में ही उनमें सत्य को जानने की ललक जाग उठी है या फिर बाजारवाद के चलते उन्हें एक नया प्रोडक्ट मिल गया हो.
यह भी हो सकता है कि पश्चिमी जगत की आधुनिक जीवनशैली और रिश्तों में हो रहे बिखराव के कारण टेंशन और फ्रस्ट्रेशन का जो स्तर बढ़ा है उसके कारण वहां का व्यक्ति सभी तरह का सुकून खो चुका है. वह सदा भय और चिंता से ग्रस्त रहने लगा है. जीवनशैली को आलीशान बनाने के बाद भी जब वह अवसाद से घिरा रहा, तो शांति की तलाश के दौरान योग को अब वह अंतिम विकल्प के रूप में आज़माने लगा है.
कुल मिलाकर पश्चिम में योग आधुनिक जीवन की तमाम समस्याओं का हल हो गया है. शारीरिक स्वास्थ्य से लेकर मानसिक स्वास्थ्य की प्रतिष्ठा योग से जुड़ गई और इस तरह यह पश्चिमी दुनिया में जीवनशैली की अहम जरूरत ही नहीं बना बल्कि अब यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि जिस तरह भारत में अंग्रेजी बोलना, जीन्स पहनना स्टेट्स सिम्बल माना जाता है वहां योग स्टेट्स सिम्बल और फैशन बन गया है.
योग की आवश्यकता और योग के प्रति इस जागरूकता के चलते वहां योग के बाजार ने भी स्वयं को विस्तार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. योग पर कई अंग्रेजी वेबसाइटों से पता चलता है कि ज्यादातर वेबसाइटें तो पश्चिमी देशों के संस्थानों की है. वे लोग योग सीख भी रहे हैं और उसे बेहतर तकनीक के साथ सीखा भी रहे हैं. आप उनके वीडियो के डेमो देंखे, टेक्स्ट देंखे और इसमें कोई आश्चर्य नहीं की बेहतरीन प्रोडक्ट की लंबी लिस्ट डॉलर के सिम्बल के साथ आपको मिलेगी.
योगा प्रोडक्टः बाज़ारवाद के चलते अब तो 'योगा शॉप' भी खुल गई है, जहां आप पाएंगे कई रंगों में उपलब्ध मॉडर्न मेट, रंग-बिरंगी नक्काशी की हुई क़ालीन, म्यूज़िक सिस्टम, बुक्स, लड़के और लड़कियों के अलग योगा ड्रेसेस, योगा बेग्स, बेल्ट, जलनेति के लिए नेति पॉट, धोति कर्म के लिए धोति, विशेष आसनों के लिए तकिए, गद्दे और लकड़ी के पॉट जैसी अनेक और चीजें है, जो बाजार में उपलब्ध है.
घर की चटाई या मैट से काम नहीं चलेगा. रेशमी, ऊनी या मख़मली मैट की कीमत पढ़ें, फिर योगा बैग भी है जिसमें मैट रखी जा सके. हां योगा शोल्डर रैप का उपयोग भी कर सकते हैं, जो सिर्फ आपके कंधों को सुरक्षित रखने के लिए होता है. यह शोल्डर रैप हलासाल, सर्वांगासाल जैसे आसनों के लिए काम आता है. योगा बेल्ट से आप विपरीतकर्णी जैसे आसान आसानी से कर सकते हैं. महिलाओं के लिए योगा के ख़ास ड्रेस अलग हैं.
योग करते वक्त अच्छा माहौल होना चाहिए, तो जरूरी है योगा परफ्यूम और खास तरह से बनाया गया योगा संगीत का इस्तेमाल हो. योगा टॉवेल और योगा रूमाल या नैपकिन की आवश्यकता योगा करने के बाद लगती ही है. हां अब बात करते हैं क़ीमत की, तो जान लें की प्रत्येक आइटम की कीमत 20 डॉलर से 50 डॉलर तक हो सकती है. यानी एक हज़ार से लेकर ढाई हज़ार रुपये तक.
योगा क्लासेसः अब योगा क्लासेस कहने में थोड़ी झेंप आती है. इंडोनेशिया से अमेरिका तक योगा रिज़ॉर्ट खुल गए हैं. जहां योग की प्रत्येक विधा से आपका परिचय होगा. इस क्षेत्र में न सिर्फ आध्यात्मिक गुरु, बल्कि सरकारी और गैरसरकारी विभाग के कई सीनियर अधकारियों ने अपनी नौकरी छोड़ कर विदेशों में योग केंद्र बना लिए हैं.
हिमालय के बौद्ध और हिंदू मठों से निकलकर योग अब योगा बनते हुए न्यू यॉर्क, लंदन, बैंकॉक, बाली, कैलिफोर्निया, मे्क्सिको, स्पेन, मलयेशिया, कोस्टारिका के भव्य योग रिज़ॉर्ट की शान बन चुका है. थाइलैंड के हुआ हिन, वेस्टइंडीज के पैरट के, इंडोनेशिया के देसा सेनी वाली, मेक्सिको के मायाट्लुम, स्पेन के इंज़ीबा, कोस्टारिका के गोल्डन डोर, अमेरिका के वर्जिन आइलैंड, मिलामोंटे कैलिफोर्निया और कालानी बाई आदि रिज़ॉर्टों में योग को सीखना शान की बात है.
भारत में भी कई योगा रिज़ॉर्ट है. उत्तरांचल में है आनंद स्पा योगा रिज़ॉर्ट. उत्तरांचल में और भी कई योगा रिज़ॉर्ट हैं, जिनमें पतंजली योग पीठ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. वैसे पुना के ओशो रिज़ॉर्ट में भी योगा ट्रिटमेंट दिया ज्यादा है. पुना में तो कई क्लासेस संचालित होती है, जहां योगा ट्रेनिंग दी जाती है.
रिज़ॉर्ट की संस्कृति से हट कर भारत में अब कई शहर में योगा क्लासेस के बोर्ड लगे हुए देंखे जा सकते हैं. अभी होर्डिंग तो सिर्फ योगा शिविरों के ही लगते हैं, लेकिन दूर नहीं वे दिन जब प्रतिदिन चलने वाली क्लासेस के बड़े से होर्डिंग देखने को मिले.
योगा टीचरः हम यहां रिज़ॉर्ट में सीखने की बात नहीं कर रहे हैं. ऑफिस, क्लॉसेस या आपके घर पर पहुंच सकता है योगा टीचर. कुछ ऐसे संस्थान है जिन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए कार्यालय के ही किसी रूम या टेरेस पर प्रतिदिन योगा क्लास का प्रबंध कर रखा है.
वैसे योगा टीचरों को आप घर बुलाकर योग सिखना चाहेंगे तो एक सिटिंग के 100 रुपये देने होंगे. हो सकता है कि बड़े शहरों में ज्यादा देना पड़ता है. हां यदि आप योगा क्लासेस ज्वाइन करते हैं, तो छोटे शहरों में प्रत्येक माह 300 रुपये चुका सकते हैं. रुपये का ज्यादा या कम होना क्लास, शहर और टीचर पर निर्भर करता है. मेट्रो सिटी में आधुनिक तामझाम के साथ आपको अलग-अलग कोर्स, ट्रीटमेंट या थेरेपी के लिए अलग से पे करना होगा. यह हो सकता है कि वहां आपको तीन या चार योगा एक्सपर्ट से सीखने को मिले, अच्छे से मालिश हो और बेहतर योगा स्नान का मजा मिले.
ख़ैर जो भी हो, योग का बाज़ार धीरे धीरे धर्म, राष्ट्र और समाज की सरहदें पार करते हुए विराट रूप धारण करता जा रहा है. देखना होगा की 2010 में यह और कितना और किस रूप में विस्तारित होता है.
सौजन्यः अनिरुद्ध जोशी 'शतायु', वेबदुनिया
संपादनः ए जमाल