यौन शोषण पर सख्त होगा चर्च
१ सितम्बर २०१०जेसुइट संप्रदाय द्वारा संचालित बर्लिन के कानिसिउस कॉलेग और अन्य कैथोलिक संस्थानों में यौन शोषण के कई मामलों के पता चलने के बाद गिरजे पर आरोप लगाया गया था कि वह जांच अधिकारियों के साथ पर्याप्त सहयोग नहीं करता है. गिरजे से बहुत सारे सदस्यों के इस्तीफे और राजनीतिक दलों के दबाव में बिशप कांफ्रेंस ने 2002 में जारी दिशानिर्देशों में संशोधन करने का फैसला लिया.
ट्रियर के बिशप श्टेफान आकरमन द्वारा पेश नए दिशानिर्देश के अनुसार यौन शोषण के मामलों में जल्दी जांच अधिकारियों को सूचना दी जाएगी. यौन शोषण के मामलों की रिपोर्ट सिर्फ उस हालत में नहीं की जाएगी जब शोषण के शिकार की यह इच्छा हो और यह कानूनन संभव हो. रिपोर्ट करना यदि यौन शोषण का शिकार हुए दूसरे लोगों के हित में हो तो दिशा निर्देश में जांच अधिकारियों को सचेत करने की बात कही गई है.
दिशानिर्देश में पीड़ितों को हर्जाना देने पर कोई बात नहीं कही गई है. बिशप आकरमन ने कहा है कि इस मुद्दे पर हो रही राउंड टेबल में फैसला लेना ठीक होगा. उन्होंने कहा कि राउंड टेबल बहस में बिशप कांफ्रेंस हर्जाने के मुद्दे को प्राथमिकता देने का समर्थन करेगा.
चर्च के नए दिशानिर्देश का व्यापक स्वागत हुआ है. जर्मन कानून मंत्री जबीने लौएटहौएजर श्नारेनबर्गर ने कहा है कि इसमें पुराने दिशानिर्देश की कमजोरियों से सबक लेने के प्रयास दिखता है. जर्मन परिवार कल्याण मंत्री क्रिस्टीना श्रोएडर ने नए दिशानिर्देश का स्वागत करते हुए कहा है कि शीघ्र जांच अधिकारियों को जानकारी देना जरूरी और सही कदम है.
जर्मनी के इवांजेलिक गिरजे ने फरवरी में पेडोफीलिया, बच्चों के यौन शोषण और बाल पोर्नोग्राफी के मामलों में 2002 के अपने सिद्धातों की पुष्टि की थी . उसके अनुसार यौन शोषण के संदेह के मामलों में संबंधित व्यक्ति को तुरंत निलंबित कर दिया जाता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह