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रणनीतिक वार्ता से निकलेगी भारत-चीन सहयोग की राह

२२ फ़रवरी २०१७

पड़ोसी देश चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का बैन लगवाने की कोशिश करते भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर चीन में रणनीतिक वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं.

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Indien allgemeine Bilder der indischen Armee mit chinesischen Soldaten
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee

विश्व के 48 देशों के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने की भारत की कोशिशों को पड़ोसी देश चीन ने अक्सर रोका है. चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और सुधारने और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगवाने की कोशिश करते भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर बुधवार को चीन में पहली रणनीतिक वार्ता में हिस्सा लेने पहुंचे हैं.

भारत-चीन के बीच इस पहली रणनीतिक वार्ता के एक दिन पहले मंगलवार को भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीन के टॉप डिप्लोमैट यांग जीशी से मुलाकात की. यांग जीशी ना केवल भारत और चीन की सीमा के जुड़े मामलों पर चीन के विशेष अधिकारी हैं बल्कि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के स्टेट काउंसलर भी हैं, जो देश का सबसे बड़ा डिप्लोमैट होता है. जयशंकर बुधवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी और कार्यकारी उप विदेश मंत्री शांग येसुई से भी मिलेंगे.

पिछले साल जब चीनी विदेश मंत्री वांग ने भारत का दौरा किया था, उस समय ही कार्यकारी उप विदेश मंत्री शांग येसुई को भारत के साथ भविष्य में होने वाली रणनीतिक वार्ताओं के लिए चीनी प्रतिनिधि बना दिया गया था. येसुई चीनी विदेश मंत्रालय में सीपीसी समिति के प्रमुख हैं.

वार्ता से ठीक पहले तक चीन अपने उस रूख पर कायम है कि जैश प्रमुख अजहर पर यूएन बैन लगाया जाना गलत है. कुछ दिन पहले ही चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बयान दिया था कि पठानकोट हमले में अजहर का हाथ होने के ठोस सबूत पेश करने की जिम्मेदारी भारत पर है. सबूत होने पर ही चीन उस पर बैन लगाए जाने का समर्थन करेगा.

दोनों पड़ोसी देशों के बीच चीन के 46 अरब डॉलर की लागत से बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर भी विवाद है. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के इलाके से होकर गुजरते इस कॉरिडोर पर भारत को एतराज है. वहीं चीन इसे केवल विकास का प्रोजेक्ट बता कर, कश्मीर मसले को भारत और पाकिस्तान के बीच सुलझाए जाने की बात कहता है. इस वार्ता से दोनों महत्वपूर्ण एशियाई देशों के बीच "अंतरों को कम से कम करने और सहयोग के नए समझौतों तक पहुंचने" की उम्मीद जताई जा रही है. दो दिनों तक चलने वाली यह रणनीतिक वार्ता इस पूरे साल के लिए भारत और चीन के बीच के संबंधों की दिशा तय कर सकते हैं.  

आरपी/ओएसजे (पीटीआई)