राजघाट पर सुषमा के ठुमकों पर राजनीतिक बवाल
७ जून २०११सुषमा स्वराज ने अपने बचाव में कहा है कि वह एक देशभक्ति गीत की धुन पर थिरक रही थीं ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा किया जा सके. लेकिन कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, "यह किस तरह का अनशन है कि विपक्ष की नेता अपने दोस्तों के साथ गांधी की समाधि पर नाच रही हैं." बीजेपी ने नई दिल्ली के रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे योग गुरु रामदेव पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में 24 घंटे का सत्याग्रह शुरू किया है जो रविवार शाम शुरू हुआ.
'यह कैसा जश्न है'
द्विवेदी ने कहा, "ये लोग किस बात का जश्न मना रहा हैं. क्या यह अन्ना हजारे और एक तथाकथित स्वामी को मुखौटा बनाने का जश्न है." वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "यह राष्ट्रपिता की समाधि है, अगर आप वहां ठुमके लगाओगे तो फिर उस स्थान की पवित्रता कैसे बनी रहेगी."
वहीं स्वराज ने अपने बचाव में ट्वीट किया है, "यह सुबह दो बजे की बात थी. मैं सिर्फ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाने के लिए थोड़ी देर के लिए सामने आई." उनका कहना है कि हर तरह के विरोध प्रदर्शनों में देशभक्ति गीत गाना बीजेपी की परंपरा है और इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होते हैं ताकि कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई हो सके. वह लिखती हैं, "इसी परंपरा के मुताबिक मुझसे भी उसमें शामिल होने को कहा गया. सभी कार्यकर्ता 'यह देश है वीर जवानों का' गा रहे थे और उस पर नाच रहे थे."
'गलत तस्वीर पेश की'
स्वराज ने कहा कि वहां पार्टी के नेताओं ने शाम 7 बजे से आधी रात तक गंभीर भाषण भी दिए और उन्हें इस बात पर हैरानी है कि सिर्फ वही छोटी सी क्लिप बार बार दिखाई जा रही है जिसमें वह नाच रही हैं. वह कहती हैं, "मीडिया में हमारे सत्याग्रह की बिल्कुल गलत तस्वीर पेश की जा रही है."
लेकिन स्वराज पर हमला बोलते हुए तिवारी ने कहा, "मुझे लगा कि आप लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हो, लेकिन वहां का वीडियो देखा तो नाच गाना चल रहा है." इससे पहले केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा, "उन्हें (बीजेपी को) रामदेव से कोई सहानुभूति नहीं है. वे तो राजघाट पर नाच रहे हैं. मुझे नहीं पता कि वे रामदेवजी की गिरफ्तारी पर शोक मना रहे हैं या फिर खुशी. उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. वे तो सिर्फ राजनीति कर रहे हैं."
बीजेपी के नेता चंदन मित्रा का कहना है कि राजघाट पर भक्ति गीत चल रहे थे और नाचने का काम गांधी की समाधि पर नहीं, बल्कि उससे दूर समता स्थल के पास हुआ.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी