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राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल आज

८ मार्च २०१०

सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राज्य सभा में महिला आरक्षण का बिल पेश हो रहा है. संसद में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को पूरा विश्वास है कि इस आरक्षण बिल को दो तिहाई बहुमत मिल जाएगा. कुछ दलों का विरोध भी.

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तस्वीर: AP

बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "चूंकि यूपीए सरकार के पास बिल पास करने लिए ज़रूरी संख्या की कमी है तो मुख्य विपक्षी दल की यह ज़िम्मेदारी है कि वह सरकार की मदद करे ताकि बिल पास हो सके. उनका कहना था कि अगर एनडीए सरकार के सत्ता में रहते हुए कांग्रेस यह कदम उठाती तो 1999 में ही महिला आरक्षण बिल पास हो गया होता."

क़ानून मंत्री वीरप्पा मोइली से पूछा गया था कि भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक को लाने का श्रेय ख़ुद लेना चाहती है क्योंकि एनडीए सरकार के दौरान बिल को लोकसभा में भी पेश किया गया था लेकिन ज़बरदस्त विरोध के चलते बिल पास नहीं हो पाया था. इसके जवाब में मोइली ने कहा, "इस देश के लोग, महिलाओं और संसद को इसका श्रेय मिलना चाहिए. इस श्रेय का बंटवारा नहीं किया जा सकता." सोमवार को वीरप्पा मोइली राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पेश करेंगे.

Sushma Swaraj, Politikerin
पूरा विश्वासतस्वीर: AP

क़ानून मंत्री मानते हैं कि संवैधानिक संशोधन के ज़रिए ही महिलाओं की संसद में भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है. "देश को ऐसे क़ानून की ज़रूरत है. हमने काफ़ी कोशिश की, हम करना भी चाहते थे लेकिन ऐसा सिस्टम नहीं बन पाया जिससे महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया जा सके."

इस बीच बिल का विरोध करने वाली पार्टियों ने भी अपनी तैयारी कर ली है. लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल ने एक व्हिप जारी किया है और राज्यसभा में सांसदों से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कहा है. "आरजेडी ने व्हिप जारी कर अपने सदस्यों से कहा है कि बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध किया जाना चाहिए." आरजेडी के लोकसभा और राज्यसभा में चार चार सांसद हैं.

आरजेडी और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही हैं और उनकी मांग है कि पिछड़े वर्ग की महिलाओं को इस आरक्षण में भी कोटे की व्यवस्था होनी चाहिए. आरजेडी का कहना है कि अगर बीजेपी और कांग्रेस अपने पार्टी सांसदों को मनमुताबिक़ वोट डालने की इजाज़त देती हैं तब उन्हें पता चल जाएगा कि इस बिल के लिए असल में कितना समर्थन है.

एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आरक्षण बिल को ख़तरनाक बताया है और महिला सशक्तिकरण के लिए उन्हें सरकारी नौकरी देने की मांग की है. मुलायम का आरोप है कि दलित, पिछड़े वर्ग और मुस्लिमों को संसद में आने से रोकने के लिए इस बिल को लाया जा रहा है.

Lalu Yadav
लालू, मुलायम, शरद यादव का विरोधतस्वीर: UNI

जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी आरक्षण बिल के मुद्दे पर अपना रुख़ बदलते हुए इसके समर्थन में उतर गए हैं. लेकिन पार्टी शरद यादव अब भी इसका विरोध करने की बात कह रहे हैं.

लगभग 14 साल से महिला आरक्षण बिल ठंडे बस्ते में पड़ा था. यूपीए और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, "यह हमारी सरकार है, जिसने कैबिनेट में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी. इस साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारतीय महिलाओं को इस ऐतिहासिक अध्यादेश का तोहफ़ा मिलेगा."

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से महिला बिल को ख़ासी अहमियत दे रही हूं. महिला सशक्तिकरण को लेकर राजीव की सोच के बाद भी काफी साल गुज़र चुके हैं. भले ही इतना लंबा वक्त गुज़र गया हो लेकिन यह बिल अब भी गर्व महसूस कराने वाला है.

महिला आरक्षण बिल 1996 में एचडी देवेगाड़ा की सरकार के वक्त तैयार किया गया था. बिल में महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33 फ़ीसदी आरक्षण देने की बात कही गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह