रूस पोलिश संबंधों में कांटा है कातिन नरसंहार
१० अप्रैल २०१०यह इतिहास की कड़वी विडम्बना है कि पोलैंड के राष्ट्रपति लेख काचिंस्की स्मृति समारोह के लिए कातिन जाते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गए और वहीं अपनी जान गंवा दी. रूस और बेलारूस की सरहद पर स्थित यह छोटी सी जगह किसी और जगह से अधिक रूस और पोलैंड के तनावपूर्ण अतीत का प्रतीक है.
1940 के वसंत में सोवियत खुफ़िया सेवा एनकेडब्ल्यूडी के जवानों ने यहां पोलैंड के 20 हज़ार जवान और बुद्धिजीवियों की हत्या कर दी थी. यह हिटलर स्टालिन संधि का परिणाम था जिसमें पोलैंड के विभाजन की बात थी. 1939 में ही ये पोलिश सैनिक सोवियत संघ द्वारा बंदी बना लिए गए और बाद में उन्हें प्रतिक्रांतिकारी कार्यकर्ता कहकर मार डाला गया. सोवियत प्रचारतंत्र ने इस नरसंहार की ज़िम्मेदारी जर्मन सैनिकों पर मढ़ने की कोशिश की, क्योंकि 1943 में उन्हें ही कातिन के जंगल में बड़े पैमाने पर लाशें मिलीं. नाज़ी जर्मनी ने पोलिश लोगों की हत्या के लिए मॉस्को को ज़िम्मेदार ठहराया.
ग्लासनोस्त और पेरेस्त्रोइका की शुरुआत के बाद अप्रैल 1990 में सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव ने रूसी सैनिकों का अपराध स्वीकार किया. इतिहासकारों को पहली बार हत्या से संबंधित दस्तावेज़ देखने को दिए गए. यह नरसंहार आज भी रूस पोलिश संबंधों में सबसे गंभीर कांटा बना हुआ है.
लेकिन इस सप्ताह एक नए युग की शुरुआत हुई थी. बुधवार 7 अप्रैल को पहली बार रूसी प्रधानमंत्री व्लादीमिर पुतिन और पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क कातिन के स्मारक स्थल पर मिले. शनिवार को एक दूसरे स्मृति समारोह में भाग लेने पोलिश राष्ट्रपति लेख काचिंस्की कातिन जा रहे थे, लेकिन उनका विमान स्मोलेंस्क हवाई अड्डे पर उतरने के समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया और विमान पर सवार सभी यात्री मारे गए.
लेख: हॉर्स्ट क्लौएज़र/मझ
संपादन: एम गोपालकृष्णन