रूस में राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान शुरू
४ मार्च २०१२देश की एक बड़ी आबादी ने अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शनों के जरिए ये जता दिया है कि वो साल 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद से सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के पुतिन के दांव पेचों से तंग आ चुकी है. रविवार को चुनाव है और ऐसे में पुलिस बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पहले से ही कमर कस चुकी है.
पुतिन की देश के लोकतंत्र को अपने हिसाब से ढालने की तरकीबों ने उदार विपक्षी दलों पर दबाव बढ़ा दिया है. उन्हें सीमित लोगों के साथ छोटी छोटी चुनावी रैलियां करने की इजाजत मिली है और वहां भी पुलिस का भारी बंदोबस्त रहता है इस नाम पर कि कोई गड़बड़ी होने की दिशा में तत्काल कदम उठाया जा सके. सरकार ने देश के ज्यादातर टीवी चैनलों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है. न्यूज रिपोर्ट पुतिन का गुणगान करने वाली खबरों से भरे पड़े हैं जिनमें उनकी आलोचना के लिए कोई जगह नहीं. टीवी स्क्रीन पर कहीं पुतिन घुड़सवारी करते तो कभी स्कूबा डाइविंग करते और कभी जंगली जानवरों के साथ गलबहियां करते नजर आते हैं.
धांधली के आरोप
इन सबके बावजूद दिसंबर के संसदीय चुनावों में भारी धांधली के आरोपों के साथ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने बहुत कुछ बदले जाने पर मजबूर किया है. प्रशासन को न चाहते हुए भी भारी मन से विपक्षी पार्टियों को सीमित ही सही कुछ बड़ी रैलियों की इजाजत देनी पड़ी है. 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी वाली इन रैलियों को सरकारी टेलीविजन ने निष्पक्ष कवरेज भी दिया.
चुनाव के बाद भी यह सहनशीलता जारी रहेगी यह कहना तो फिलहाल मुश्किल है. स्वतंत्र पोलिंग एजेंसी लेवाडा सेंटर के ताजा सर्वे के मुताबिक पुतिन अपने चारों प्रतिद्वंदियों के मुकाबले में दो तिहाई बहुमत हासिल कर लेंगे. पुतिन लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों की शह मिल रही है जो उन्हें नीचा दिखाना चाहते हैं.
पिछले कुछ हफ्तों में आरोप प्रत्यारोप की धार और तेज हुई है क्योंकि पुतिन ने सार्वजनिक रूप से यहां तक कह दिया कि विपक्षी दल अपनी ही पार्टी के एक नेता को मरवाना चाहते हैं जिससे कि उनके खिलाफ गुस्से को हवा दी जा सके. पुतिन ने यह दावा सरकारी टेलीविजन की एक रिपोर्ट को आधार बना कर किया इस रिपोर्ट में बताया गया कि चुनाव के तुरंत बाद चेचेन विद्रोहियों के उनको मारने की एक साजिश नाकाम कर दी गई है. वैसे पुतिन के कुछ विरोधी इस रिपोर्ट को उनका समर्थन बढ़ाने का एक उपाय करार देते हैं.
अतिरिक्त सुरक्षा
रूस के गृह मंत्री ने राजधानी मास्को में देश के दूसरे हिस्सों से मंगा कर छह हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात करवाया है. रविवार के चुनाव का निष्पक्ष होना मौजूदा दौर में जरूरी बताया जा रहा है. बिना किसी गड़बड़ी के हुआ चुनाव विरोधियों का मुंह कुछ समय के लिए बंद कर सकता है. पहले विरोध प्रदर्शन की आंच जैसे ही महसूस हुई पुतिन ने एलान कर दिया कि देश के 90 हजार पोलिंग बूथों में हर बूथ पर दो कैमरे लगाए जाएंगे. इनमें से एक कैमरे का फोकस बैलेट बॉक्स पर जबकी दूसरे का फोकस बाकी चीजों पर होगा. हालांकि इन कैमरों के असरदार होने पर भी सवाल उठ रहे हैं. हजारों की संख्या में रूसी लोगों ने चुनाव में धांधली पर नजर रखने के लिए अपना नाम वॉलंटियर के रूप में दर्ज कराया है. इन लोगों को गैर सरकारी संगठन ट्रेनिंग दे कर पोलिंग बूथो पर तैनात कर रहे हैं.
पुतिन ने पिछले चार साल देश के प्रधानमंत्री के रूप में बिताया. ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि देश का संविधान किसी को भी लगातार दो कार्यकाल से ज्यादा देर राष्ट्रपति बनने की इजाजत नहीं देता. पुतिन ने इस दौरान अपने विश्वस्त दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनवा दिया जो देश में अकसर सुधारों की बात तो करते हैं लेकिन अमल करने के नाम पर ज्यादा कुछ खास नहीं. पुतिन ने चुनाव जीत जाने पर मेदवेदेव को प्रधानमंत्री बनाने का वादा किया है जिससे कि वो अपने सुधारों का कार्यक्रम लागू कर सकें. हालांकि उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करके पुतिन एक बार फिर अपने विरोधियों को नाराज कर देंगे.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः आभा एम