रूसी पत्रकारों को पारे से मारने की कोशिश
२८ दिसम्बर २०१०प्रोसीक्यूशन विभाग की प्रवक्ता जिल्के बेकर ने कहा, "फिलहाल तो पारे का जहर देने की आशंका ही नजर आ रही है." जर्मन पत्रिका फोकस ने अपनी खबर में बताया था कि रूस के पत्रकार विक्टर और मरीना क्लाशनिकोव के खून में पारे की बहुत ज्यादा मात्रा पाई गई. दोनों उम्र के पचासवें दशक में हैं.
क्लाशनिकोव दंपती को जब हमले का शक हुआ तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया. इसके बाद ही मामले की जांच शुरू हुई. वकीलों का कहना है कि इस मामले को जो विभाग देख रहा है, उसके अधिकारी राजनीतिक अपराधों की जांच में माहिर हैं.
नवंबर महीने में यह मामला सामने आया. दंपती ने जांचकर्ताओं को बताया कि उन्हें नहीं पता कि कब और कैसे उन्हें जहर दिया गया. पति पत्नी दोनों ही पत्रकार हैं और रूस की नीतियों के खिलाफ लिखते रहे हैं. खासतौर पर उन्होंने देश की चेचन्या नीति की काफी आलोचना की है. वे लोग सितंबर महीने में रूस से जर्मनी आ गए और तब से बर्लिन में रह रहे हैं.
बर्लिन के एक अस्पताल में जांच में पता चला कि विक्टर के खून में 53.7 माइक्रोग्राम पारा है जबकि मरीना के खून में 56 माइक्रोग्राम. आमतौर पर यह मात्रा एक से तीन माइक्रोग्राम होती है. पारे का जहर किडनी को खराब कर सकता है. इसके अलावा यह बोलने की क्षमता पर भी हमला करता है.
जर्मनी में इस मामले को रूसी एजेंट आलेक्सांद्र लित्वीनेंको की हत्या की तरह देखा जा रहा है. लित्वीनेंको की लंदन में 2006 में हत्या हो गई थी. उन्हें रेडिएक्टिव जहर दिया गया. ब्रिटिश पुलिस का मानना है कि रूसी खुफिया पुलिस के एक पूर्व जासूस ने इस काम को अंजाम दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम