रेडियोधर्मी पानी समुद्र में डालने पर चीन चिंतित
८ अप्रैल २०११चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लाई ने एक बयान में कहा, "पड़ोसी होने के नाते जापान को लेकर हमारी चिंता स्वाभाविक है. हम उम्मीद करते है कि जापान अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के मुताबिक समुद्री वातावरण को संरक्षित रखने के लिए कदम उठाएगा." जापान में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप और सूनामी के बाद क्षतिग्रस्त हुए फुकुशिमा बिजली संयत्र को चलाने वाली कंपनी टेपको 11,500 टन रेडियोधर्मी पानी समुद्र में छोड़ रही है.
11 मार्च को आए भूकंप से परमाणु संयंत्र का कूलिंग सिस्टम खराब हो गया जिसकी वजह से रेडियोधर्मी रिसाव होने लगा. रेडियोधर्मी पानी को इसलिए प्लांट से निकाला जा रहा है ताकि वहां मरम्मत का काम किया जा सके. जापान में परमाणु संकट की वजह से चीन में भी विकिरण को लेकर आशंका जताई जा रही है. कुछ समय के लिए लोगों ने हड़बड़ी में नमक खरीदना बंद कर दिया. उन्हें लगा कि नमक में जो आयोडीन है, वह विकिरण वाला हो सकता है.
चीनी अधिकारियों ने कहा है कि देश भर में हवा में हल्के स्तर का विकिरण मिला है. राजधानी बीजिंग समेत देश के कुछ हिस्सों में उगने वाले पालक में भी ऐसी शिकायतें मिली हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि विकिरण इतने हल्के स्तर का है कि उससे सेहत को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.
चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है, "चीन घटनाक्रम पर नजदीक से नजर बनाए हुए है. वह स्थिति का विशेष मूल्यांकन भी कर रहा है. इस बारे में जापान से बराबर संपर्क बना कर रखा जाएगा. हम जापान से कहते हैं कि वह इस बारे में हर तरह की जानकारी से चीन को अवगत कराए."
वैसे रेडियोधर्मी पानी समंदर में डाले जाने का जापान के मछली पालन उद्योग ने भी विरोध किया है. मछली पालन सहकारिताओं के प्रमुख इकुहीरो हत्तोरी ने बुधवार को टेपको के मुख्यालय पर जाकर अपना विरोध जताया.
रिपोर्टः एजेंसिंया/ए कुमार
संपादनः आभा एम