रोमनी और सेंटोरम में कड़ा मुकाबला
७ मार्च २०१२रिपब्लिकन पार्टी को इस साल राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना उम्मीदवार तय करना है और रोमनी इस दौड़ में धीरे धीरे आगे जाते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन 10 में से छह जीतों में अंतर बड़ा नहीं रहा है. ओहायो का मुकाबला अहम था, क्योंकि पिछले सालों में वही उम्मीदवार बना है जिसने यह राज्य जीता है. इसके अलावा यह राज्य राजनीतिक तौर पर बंटा हुआ है.
मिट रोमनी को रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए पार्टी सम्मेलन में कुल 1,114 पार्टी वोट चाहिए और रोमनी उस ओर बढ़ रहे हैं. रोमनी ने मैसेचुसेट्स में आसान जीत हासिल की और वेरमोंट और इडाहो में भी जहां मोरमोन्स विचारधारा के लोग ज्यादा हैं. रोमनी को वर्जीनिया और अलास्का में भी जीत मिली. सैंटोरम का दावा है कि टेनीसी, ओकलाहोमा, और उत्तरी डेकोटा में उनकी जीत साबित करती है कि वह पार्टी की रुढ़िवादी विचारधारा के हिसाब से सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं.
अमेरिकी टीवी चैनलों के मुताबिक ओहायो में मतों की गिनती के मुताबिक रोमनी को 38 और सैंटोरम को 37 प्रतिशत मत मिले हैं. रोमनी को बड़े शहरों में और सैंटोरम को देहाती इलाकों में मत मिले हैं. एग्जिट पोल्स के मुताबिक ओहायो में लोग मानते हैं कि रोमनी ही ओबामा को हराने के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं जबकि सैंटोरम औसत अमेरिकियों की चिंताओं को बेहतर समझते हैं.
करोड़पति रोमनी
रोमनी की निजी संपत्ति 20 करोड़ की है और इस वजह से वह रूढ़िवादियों और ऑफिस कर्मचारियों से खुद को जोड़ नहीं पा रहे. ओहायो में पक्की जीत इस तरह की शंकाओं को किनारे लगा सकती है.
सैंटोरम पेनसिल्वेनिया के पूर्व सीनेटर रहे हैं और उन्हें धार्मिक रुढ़िवादियों का समर्थन मिला. इसका कारण उनका समलैंगिक विवाह का जोरदार विरोध और कई संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर उनके विचार हैं. लेकिन परिवार नियोजन और धर्म के बारे में उनके विचारों को लेकर उदारवादी विचारधारा के मतदाता, खासकर युवा महिलाएं उनसे दूर हुई हैं. ओहायो में 21 फीसदी मतदाताएं महिलाएं हैं जो काम करती हैं.
अगली बड़ी चुनौती दोनों उम्मीदवारों के लिए कैंसास, अलाबामा और मिसिसीपी होंगी जो कि पारंपरिक तौर पर रुढ़िवादी इलाके हैं और जहां रोमनी को कड़ी मेहनत करनी होगी. हाल के राष्ट्रपति चुनावों में सुपर मंगलवार, प्राइमरी चुनावों, प्रांतीय चुनावों में ही रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार तय हो गए थे. लेकिन इस बार लगता है कि अप्रैल मई तक या बहुत संभव 26 जून तक तय नहीं हो पाए. जिसका कुल फायदा ओबामा को ही मिलेगा.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः महेश झा