लादेन की पुष्टि के लिए सीआईए ने चलाया फर्जी टीका अभियान
१२ जुलाई २०११ब्रिटिश अखबार गार्डियन में मंगलवार को छपी खबर के मुताबिक एबटाबाट में ऐतिहासिक कमांडो ऑपरेशन शुरू करने से पहले सीआईए ने फर्जी टीका कार्यक्रम चलाया. सीआईए के अधिकारियों ने इसके लिए एक स्थानीय वरिष्ठ डॉक्टर को नियुक्त किया. जब लादेन के कूरियर का पीछा करते हुए सीआईए अधिकारियों को लादेन के ठिकाने का पता चल गया तब इस डॉक्टर की मदद से टीका अभियान चलाया गया. इस अभियान के जरिए एबटाबाद के उस मकान में रहने वाले लोगों के डीएनए नमूने हासिल कर लिए गए. सीआईए के पास लादेन की एक बहन का डीएनए पहले से ही मौजूद था. इसी नमूने से मिलान कर इस बात की अंतिम रूप से पुष्टि की गई कि उस मकान में लादेन रह रहा है.
डॉक्टर शकील अफरीदी मार्च में एबटाबाद गए और कहा कि उन्होंने इलाके में टीका अभियान के लिए पैसे जुटाए हैं.एबटॉबाद में स्वास्थ्या सेवा देने वाले सरकारी तंत्र के बड़े अधिकारियों की जानकारी के बगैर नीचले दर्जे के कर्मचारियों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया. इन लोगों को उनके सहयोग के लिए अच्छी खासी कीमत भी दी गई. इन लोगों को इस बात की भनक भी नहीं लगने दी गई कि इस कार्यक्रम के केंद्र में ओसामा बिन लादेन है.इलाके के स्वास्थ्यकर्मी एबटाबाद में बिन लादेन के कंपाउंड में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने के नाम पर गए. अफरीदी ने टीका कार्यक्रम के पोस्टर भी लगवाए थे.
अभियान चलाने वाले स्थानीय डॉक्टर शकील अफरीदी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने गिरफ्तार कर लिया है. शकील अफरीदी ने टीका कार्यक्रम असली लगे इसलिए एबटाबाद के एकदम गरीब लोगों के बीच इसकी शुरुआत की. इसके बाद इस अभियान को बिलाल टाउन उपनगर में ले जाया गया जहां बिन लादेन रह रहा था. एक पाकिस्तानी अधिकारी ने गार्डियन से कहा है, "पूरा मामला बिल्कुल अनोखा था. बिलाल टाउन पैसे वाले लोगों का इलाका है. आप इस इलाके को मुफ्त टीका बांटने के लिए भला क्यों चुनेंगे."
ओसामा बिन लादेन को 2 मई को अमेरिकी कार्रवाई में मार दिया गया जिसके बाद से ही पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. पाकिस्तानी सेना ने सोमवार को कहा कि वह अमेरिका से मदद लिए बगैर भी इस्लामी आतंकवादियों का मुकाबला करने में सक्षम है. इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली सालाना सैन्य सहायता में एक तिहाई से ज्यादा की कटौती करने का एलान किया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया