लीबिया मानवाधिकार परिषद से निलंबित
२ मार्च २०११192 देशों की महासभा ने लीबिया पर फैसला वोटिंग के बगैर सर्वसम्मति से किया. महासभा में प्रस्ताव अध्यक्ष जोसेफ डाइज ने पेश किया और किसी देश ने इसका विरोध नहीं किया. स्विट्जरलैंड के पूर्व राष्ट्रपति डाइज ने इसके बाद प्रस्ताव को पारित घोषित कर दिया. अगर वोटिंग होती तो प्रस्ताव पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती.
इन्सानी अधिकारों के बिना कुछ नहीं
प्रस्ताव में कहा गया, "महासभा ने लीबिया को मानवाधिकार परिषद के सदस्य के तौर पर मिले सारे अधिकार निलंबित करने का फैसला किया है." डाइज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होता है कि मानवाधिकारों का सम्मान किया जा रहा है और ऐसा न करने पर सजा दी जा रही है. इसलिए संस्थाओं की विश्वसनीयता ही संदेह के दायरे में आ गई. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ हफ्तों में घटी घटनाओं ने अरब जगत को हिलाकर रख दिया है. ये हमें याद दिलाती हैं कि जब तक मानवाधिकारों को दबाया जाएगा तब तक न तो सुरक्षा हासिल की जा सकती है और न ही विकास."
अब तक लीबियाई नेता मोअम्मर गद्दाफी का समर्थन करने वाली संस्थाओं अरब लीग और अफ्रीकी संघ की शांति और सुरक्षा परिषद ने भी लीबिया के निलंबन का समर्थन किया. इस कदम का सुझाव जिनीवा से मानवाधिकार परिषद ने ही दिया था. परिषद ने पिछले हफ्ते लीबिया के हालात का जायजा लेने के लिए एक बैठक बुलाई थी.
लीबिया में हालात खराब
इस बीच में लीबिया में हालात और खराब हो गए हैं. वहां रह रहे हजारों विदेशी देश छोड़कर भागने की तैयारी में हैं. इस वजह से ट्यूनीशिया के साथ लगती सीमा पर दसियों हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई है. ट्यूनीशिया पहले ही सत्ता परिवर्तन के बाद बदलाव और मुश्किल के दौर से गुजर रहा है.
इन हालात को देखते हुए पश्चिमी ताकतें लीबिया पर सैन्य कार्रवाई करने के और करीब पहुंच गई हैं. अमेरिका ने कहा है कि लीबिया में गैरउड़ान क्षेत्र लागू करने के लिए हवाई हमलों की जरूरत होगी. नाटो और पश्चिमी ताकतें चाहती हैं कि लीबिया के आसमान को गैर उड़ान क्षेत्र बना दिया जाए ताकि गद्दाफी की सेना देश में कहीं भी हवाई हमले न कर सके.
गद्दाफी की सेनाएं छिन चुके पश्चिमी इलाकों पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश में जुटी हैं. इसलिए विद्रोहियों और सेना के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं. अब तक एक लाख से ज्यादा लोग लीबिया छोड़कर जा चुके हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल