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लीबिया से भागे गद्दाफी: विद्रोही

२७ अगस्त २०११

लीबियाई शासक मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता ढह चुकी है. विद्रोही अब गद्दाफी को ढूंढने में लगे हुए हैं. गद्दाफी के अल्जीरिया भागने की भी खबरें हैं. मिस्र की सरकारी न्यूज एजेंसी ने यह दावा किया है.

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तस्वीर: dapd

लीबिया और उसकी राजधानी त्रिपोली के ज्यादातर हिस्से को नियंत्रण में ले चुके विद्रोही जोर शोर से गद्दाफी की खोजबीन में लगे हुए हैं. 69 साल के गद्दाफी कहां हैं इसके बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. विद्रोहियों का कहना है कि 42 साल तक लीबिया पर शासन करने वाले कर्नल गद्दाफी को पकड़े बिना संघर्ष खत्म नहीं होगा.

मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना के मुताबिक शुक्रवार को छह मर्सिडीज कारों वाला एक काफिला लीबिया से अल्जीरिया में घुसा. विद्रोही सूत्र के हवाले से मीना ने कहा है कि काफिले में गद्दाफी और उनके बेटे भी थे.

मानवीय संकट

इस बीच राजधानी त्रिपोली में पानी की आपूर्ति बंद पड़ी है. बिजली भी नहीं है. 20 लाख लोगों पर इसकी सीधी मार पड़ रही है. राजधानी के ज्यादातर हिस्से को विद्रोही अपने नियंत्रण में ले चुके हैं. शहर के एक कोने में अब भी गद्दाफी समर्थक विद्रोहियों से भिड़ रहे हैं. गोलीबारी और संघर्ष का सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर पड़ रहा है. राजधानी में जहां तहां बारूद की गंध फैली है. ध्वस्त मकान, आग और आकाश में उठता काला धुआं भी दिखाई पड़ रहा है.

Libyen Tripolis Aufständische haben den Stützpunkt Bab al Asasija gestürmt
तस्वीर: dapd

विद्रोही का संगठन नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (एनटीसी) शहर की आम व्यवस्था को सुचारू करने की कोशिश में है. लेकिन विद्रोहियों के साथ जुड़े कई अनुभवी अधिकारी अब भी बेनगाजी शहर में ही हैं. इस बीच ब्रिटेन ने लीबिया के लिए रेड क्रॉस को 49 लाख डॉलर की तत्काल मदद देने का वादा किया है. इस रकम से 5,000 घायलों के इलाज और करीब 7,00,000 लोगों को खाद्य सामग्री मुहैया कराई जाएगी. पांच महीनों की लड़ाई के चलते लाखों लोग अपना घर बार छोड़ चुके हैं. मानवीय सहायता में जुटी संस्थाओं के मुताबिक हजारों बच्चे मां बाप से बिछड़ चुके हैं. 

बेनगाजी से त्रिपोली को जोड़ने वाला हाइवे अब भी सिरते शहर के पास बंद पड़ा है. वहां गद्दाफी समर्थक सेना अब भी विद्रोहियों से लड़ रही है. एनटीसी के प्रवक्ता मोहम्मद शम्माम के मुताबिक; "सिरते शहर के कबाइली गुटों के साथ समझौते की कोशिशें की जा रही हैं. हम सैन्य ताकत का इस्तेमाल कर शहर को नियंत्रण में ले सकते हैं लेकिन हम शांतिपूर्ण हल चाहते हैं."

लीबिया में एनटीसी पिछले पांच महीनों से गद्दाफी के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़े हुए हैं. संघर्ष में पश्चिमी देशों ने विद्रोहियों को मदद दी. अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और इटली के विमानों ने अपने लड़ाकू विमानों के जरिए गद्दाफी समर्थकों पर बमबारी की. विद्रोहियों को बचाने के लिए भी लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया.

गद्दाफी युग का अंत

Libyen Tripolis Aufständische haben den Stützpunkt Bab al Asasija gestürmt
तस्वीर: dapd

लीबिया में 1960 के दशक में राजा के खिलाफ क्रांति हुई. राजा का तख्ता पलट हो गया. क्रांति की मदद से सैन्य अधिकारी कर्नल मुअम्मर गद्दाफी को देश की बागडोर मिल गई. एक सितंबर 1969 को गद्दाफी सत्तासीन हुए. उन्होंने जनता को लोकतंत्र के सपने दिखाए. आलोचक कहते हैं कि धीरे धीरे गद्दाफी भी राजा की तरह खुद को लीबिया का सर्वे सर्वा समझने लगे. चार दशक से ज्यादा का वक्त ऐसे भी गया. इस दौरान गद्दाफी के करीबी और बेटे देश की हर अहम संस्था के प्रमुख पदों पर बैठे. भ्रष्टाचार के जरिए गद्दाफी ने अकूत संपत्ति कमाई और विदेशी बैंकों में जमा किया.

लेकिन दिसंबर 2010 में ट्यूनीशिया की राजनीतिक क्रांति ने गद्दाफी की भी जड़ें हिला दी. ट्यूनीशिया के बाद मिस्र में प्रदर्शन हुए. वहां हुस्नी मुबारक को जाना पड़ा. मोरक्को के राजा ने जनता के गुस्से को भांपते हुए जनमत संग्रह कराया. गद्दाफी अपनी जनता का मूड नहीं भांप सके और अरब की क्रांति की भेंट चढ़ गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां, ओ सिंह

संपादन: एन रंजन  

 

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