लेना का जर्मनी में शानदार स्वागत
३१ मई २०१०45 हज़ार लोग हैनोवर में लेना के स्वागत के लिए इकट्ठा हुए. टीवी पर लेना के आगमन का लाइव प्रसारण किया गया. लेना के इस स्वागत का एक बड़ा कारण ये था कि करीब पिछले तीन दशकों से यूरो विजन प्रतियोगिता में किसी जर्मन गायक को जीत हासिल नहीं हुई थी, जिसके कारण जर्मन लोगों को लगने लगा था कि दूसरे विश्व युद्ध के लिए उन्हें और उनके देश को अभी तक यूरोप ने माफ नहीं किया है. इसलिए इस जीत के बाद जर्मनी के अखबार द बिल्ड ने लिखा, ''लोग हमें पसंद करते हैं.''
इस बार यूरो विजन में अपनी उपस्थिती अच्छे से दर्ज करवाने के लिए जर्मनी ने मेहनत भी बहुत की थी. जर्मनी के मॉडरेटर श्टेफान राब ने एक खास प्रतियोगिता की जिसमें करीब चार सौ प्रतियोगियों ने भाग लिया और फिर लेना को चुना गया. लोगों ने लेना को पलकों पर उठाया और उसकी जीत में पूरे देश के पब, रेस्तरॉं लोगों से भरे रहे. वहीं नेता भी लेना की जीत से खुश दिखाई दिए, चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी लेना को बधाई दी.
मैर्केल ने कहा, लेना के बिलकुल सादे व्यव्हार ने मुझे बहुत प्रभावित किया. वह युवा जर्मनी का एक शानदार उदाहरण है. वहीं जर्मन विदेश मंत्री गिडो वेस्टरवेले ने लेना के प्रदर्शन को शानदार और चमककदार बताया. वेस्टरवेले का कहना था, आप चाहें या नहीं चाहें, आप देश के दूत हैं. इसी दूत ने एक रात में बहुत ख़ूबसूरती से काफी समय से चले आ रहे एक रुढ़िवादी विचार को तोड़ दिया.
हैनोवर में आने के बाद लेना ने कहा कि मैं बहुत नर्वस थी. लेकिन अपने स्वागत और लोगों के प्यार से अब वह इतनी खुश हुई कि उन्होंने कहा, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा. मैं बहुत बहुत खुश हूं.
2005 में जर्मनी को 24वीं, 2006 में 15वीं, 2007 में 19वीं और 2008 में 23वीं तो 2009 में 20वीं जगह मिली. 2008 में तो 42 में से 40 देशों ने जर्मनी को ज़ीरो नंबर दिया. तब बिल्ड अख़बार ने लिखा था कि, ''हमें क्यों कोई पसंद नहीं करता.'' जर्मनी का आरोप था कि नतीजे जानबूझ कर ब्लॉक किए जा रहे हैं. इसलिए वोटिंग प्रणाली में सुधार की भी अपील की गई. 2009 तक अलग अलग देशों के फैन्स की वोटिंग से नतीजा आता था लेकिन अब नतीजे में फैन्स और ज्यूरी की बराबर की भूमिका है. लेना भी साबित कर चुकी है कि उनकी प्रतिभा का कायल सिर्फ उनका देश जर्मनी ही नहीं बल्कि पूरा यूरोप है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः ओ सिंह