लोकपाल के हाथ में स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग
२५ दिसम्बर २०११अन्ना हजारे ने लोकपाल के हाथ में एक स्वतंत्र जांच एजेंसी देने की मांग की है. टीम अन्ना की तरफ से लिखे गए पत्र में सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया गया है कि साल भर से चले आ रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान ने लोगों को उस कानून के बहुत करीब पहुंचा दिया है जो इससे पूरी ताकत से जूझेगा.
संसद का आभार जताते हुए पत्र में लिखा गया है, "देश के मंशा को देखते हुए संसद ने इस विधेयक के मसलों पर एक अहम बहस की है जिसके लिए हम अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हैं." पत्र में यह भी लिखा है, "हालांकि हम विधेयक के मौजूदा स्वरूप पर अपनी नाखुशी जताते हैं. हम यह भी चाहते हैं कि जितना बेहतर हो सके उतना बेहतर कानून संसद की बहस से निकल कर आए." टीम अन्ना ने संसद से अनुरोध किया है कि वो कुछ प्रमुख बातों को देश के भ्रष्टाचार विरोधी कानून का हिस्सा बनाए. टीम अन्ना ने यह भी कहा है कि विधेयक में से जब तक उनकी आपत्तियों को निकाल कर उनमें सुधार नहीं कर दिया जाता वो उसके लिए आने वाले समय में अपना आंदोलन चलाते रहेंगे.
अन्ना ने सांसदों से अनुरोध किया है कि लोकपाल और लोकायुक्तों के पास यह अधिकार होना चाहिए कि वो बिना किसी शिकायत या किसी दूसरे के अनुरोध किए बगैर भी खुद अपने स्तर पर जांच करा सकें. इसके साथ ही कहा गया है कि आरोपी को प्राथमिक जांच या सुनवाई के जरिए सावधान होने का मौका नहीं मिलना चाहिए. संसद की स्थायी समिति ने इस मामले में पहले एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है. इस मामले में टीम अन्ना ने सांसदों को अपने सुझाए तीन फॉर्मूलों में से कोई एक अपनाने की मांग की है.
पत्र में लिखा गया है, "सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को लोकपाल, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और राज्यों के सतर्कता विभाग को लोकायुक्तों के साथ मिला देना चाहिए. लोकायुक्तों के पास अपनी जांच एजेंसी होनी चाहिए जिनके पास भ्रष्टाचार को रोकने के कानून के तहत विशेष न्यायिक अधिकार हों."
पत्र में एक प्रस्ताव यह भी दिया गया है कि सीबीआई का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण लोकपाल के पास हो और सीबीआई के आयुक्त की नियुक्ति राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त हो.
टीम अन्ना ने यह भी मांग की है कि लोकपाल और लोकायुक्तों के सीधे दायरे में वर्ग सी और वर्ग डी के अधिकारियों को भी डाला जाना चाहिए. लोकपाल के चयन के मुद्दे पर टीम अन्ना ने कहा है कि इसे चयन समिति के जरिए सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए. चयन समिति में प्रदानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, सुप्रीम कोर्ट के जजों में से दो जज, महालेखा परीक्षक, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, मुख्य चुनाव आयुक्त को शामिल करने की मांग की गई है.
टीम अन्ना का कहना है कि इन सब प्रावधानों को लागू किए बगैर लोकपाल बिल दूसरे कानूनों जैसा एक साधारण कानून बन कर रह जाएगा.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह