वर्ल्ड कप से पहले सुपर फॉर्म में सचिन
१४ अक्टूबर २०१०दो दशकों से अनवरत अच्छा खेल, खुद को और अच्छा, परफेक्ट करने की कोशिश और लगातार अच्छा पदर्शन करते रहने का प्रयत्न. यह ही नहीं और भी बहुत कुछ है जो सचिन को एक संपूर्ण खिलाड़ी, क्रिकेटर बनाता है.
फैन्स के बेतहाशा प्रेम, अपेक्षाओं के बावजूद सचिन इस सबसे दूर रहते हैं. क्रिकेट के इस देवता को सिर्फ रनों और सफलता की वर्षा करना आती है. 14 हजार टेस्ट रन और शानदार करियर के बावजूद किसी स्कैंडल की कोई हिंट नहीं. सादा जीवन और उच्च विचारों का एक जीता जागता उदाहरण.
171वें टेस्ट में अपना 49वां शतक और वो भी दोहरा बनाने के बाद सचिन ने कहा, "मुद्दा यह है कि मैं अपनी टीम के लिए क्या करना चाहता हूं. और इसमें मैं किसी तरह का समझौता नहीं करूंगा."
16 साल की उम्र में 1990 में पहले मैच में वकार यूनुस की गेंद पर घायल हुए तेंदुलकर ने टीम और खेल के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई है उसका कोई सानी नहीं. इसके ठीक आठ दिन बाद वो टेस्ट क्रिकेट में अर्धशतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए और बीस साल बाद टेस्ट और अंतराष्ट्रीय वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी. जिनमें सबसे ज्यादा 95 शतक भी शामिल हैं.
तेंदुलकर को सर डॉन ब्रैडमैन से जो तारीफ मिली वह निश्चित ही ऐसी है जैसे किसी 10 साल की लड़की को गाते देख और सुन आशा भोंसले या लता मंगेशकर कहें कि ये लड़की बिलकुल मेरे जैसा गाती है. डॉन ब्रैडमैन ने सचिन का खेल देखकर कहा था, "मैंने खुद को कभी खेलते नहीं देखा लेकिन मुझे लगता है कि यह साथी बिलकुल उसी तरह खेल रहा है जैसे मैं खेला करता था." ब्रैडमैन की पत्नी ने सचिन को देखकर कहा कि हां दोनो में बहुत समानता है. "उनकी तकनीक, शॉट खेलने का तरीका सब मुझसे मेल खाता है."
17 साल की उम्र में सचिन ने ओल्ड ट्रैफर्ड में पहला शतक बनाया. उनके बीस साल अभी पूरे होने थे जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने पर्थ में एक और शतक जड़ा. दुनिया के सबसे अच्छे स्पिन गेंदबाजों में गिने जाने वाले शेन वॉर्न की धुलाई सचिन के शानदार प्रदर्शनों की कहानी कहती है. 2006 में सचिन ने 34 सेंचुरी बनाने का सुनील गावस्कर का रिकॉर्ड तोड़ दिया. इसमें ऑस्ट्रेलिया को उन्होंने बहुत मोहब्बत से धोया.
वॉर्न की गेंदे पहली बार सचिन ने भारत में 1998 में खेली. जहां उन्होंने वॉर्न की गेंदों को तबियत से धुना. मंगलवार को शेन वॉर्न ने रिकी पोंटिंग के क्षेत्ररक्षण पर गुस्सा उतारते हुए ट्विटर पर लिखा कि तेंदुलकर अब भी ऑस्ट्रेलिया के लिए अभिशाप हैं.
पिछले दशक में चोटों के कारण सचिन का करियर का धीमा पड़ा. लोग कहने लगे कि उन्हें संन्यास ले लेना चाहिए. लेकिन एक बार फिर सचिन उठे. इस साल उन्हें आईसीसी ने पहली बार क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना.
तेंदुलकर की दिली तमन्ना है कि वे अगले साल होने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेले और भारत को जिताएं. 1983 से अब तक भारत एक भी बार वर्ल्ड कप क्रिकेट की ट्रॉफी नहीं जीता है.
नाम, शोहरत और रिकॉर्डों ने सचिन तेंदुलकर की सादगी का बाल भी बांका नहीं किया है. वह कहते हैं. "मैंने 20 साल क्रिकेट खेला है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं क्रिकेट के बारे में सब कुछ जानता हूं. इस खेल में छात्र बन कर रहना ही अहम है.. तब ही आप सीख सकते हैं और बेहतर हो सकते हैं. सीखना कभी खत्म नहीं होता."
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः ओ सिंह