विदर्भ में 30 किसानों ने आत्महत्या की!
४ अप्रैल २०१०मीडिया रिपोर्टों के अनुसार महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के यवतमाल ज़िले में आत्महत्या की ये घटनाएं हुई हैं. यहां कपास की खेती करने वाले किसानों को पिछले कई वर्षों से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों के बीच काम करने वाली विदर्भ जन आंदोलन समिति का कहना है कि अक्सर सूखे से पीड़ित इस क्षेत्र में बहुतेरे किसान बैंक व स्थानीय साहूकारों से लिए गए कर्ज़ चुकाने में असमर्थ रहे हैं. अक्सर फ़सल ख़राब रही है या क़ीमतों में तेज़ गिरावट आई है.
कपास की खेती करने वाले किसान लक्ष्मण ने भी आत्महत्या कर ली थी. उनके पिता बाबा टेकम का कहना है कि बैंक से वसूली की नोटिस आई थी. इलाक़े में लिए गए कर्ज़ भी चुकाने थे. उनका बेटा दो बैलों को बेचने के लिए हाट गया हुआ था. लेकिन वहां भी कोई ग्राहक नहीं मिला.
विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी का कहना है कि आर्थिक मंदी के दौर में बैंकों और साहूकारों ने वसूली में तेज़ी ला दी है. विदर्भ क्षेत्र किसानों की आत्महत्या के लिए कुख्यात है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 1997 के बाद से भारत में 1 लाख 80 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से अधिकतर भारी कर्ज़ में डूबे हुए थे. दो तिहाई से अधिक आत्महत्याएं महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में हुई हैं. साल 2007 में 16, 600 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी.
रिपोर्ट: डीपीए/उ भ
संपादन: एस गौड़