विदेशी टीवी कार्यक्रमों पर चीन में रोक
२३ फ़रवरी २०१२चीन में मनोरंजन पर लगाम कसने की ताजा कड़ी में चीन सरकार के टेलीविजन प्रसारण नियामक ने एलान कर दिया है कि विदेशी टेलीविजन शो शाम सात बजे से 10 बजे के प्राइम टाइम में नहीं दिखाए जाएंगे. ज्यादातर एशियाई देशों के इन टीवी कार्यक्रमों को "भद्दा" बताया गया है. नए कानून के जरिए सरकार स्थानीय टेलीविजन उद्योग को आगे बढ़ाना चाहती है. दर्शकों को दूसरे एशियाई देशों के कार्यक्रमों से दूर कर स्थानीय कार्यक्रमों के लिए मुकाबले को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है. बहुत से लागों का मानना है कि यह कदम सरकारी चैनल चायना सेंट्रल टेलिविजन (सीसीटीवी) के संरक्षण के लिए उठाया गया है. इसकी पहचान समाचारों और कुछ नीरस कार्यक्रमों को दिखाने वाले चैनल की है.
वैसे इस तरह के फरमान की उम्मीद अक्टूबर से ही की जाने लगी थी. तब नियामक संस्था स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रेडियो, फिल्म एंड टेलिविजन(सार्फ्ट) ने कई बेहद लोकप्रिय कार्यक्रमों पर रोक लगा दी. इन टीवी कार्यक्रमों को एक अधिकारी ने 'जहर' तक कह दिया. पिछले साल के अंत तक चीन के 34 सेटेलाइट चैनलों के कई कार्यक्रमों पर रोक लग गई. इनमें ज्यादातर शो अमेरिकन आइडल और टॉप गीयर जैसे पश्चिमी देशों के बेहद हिट शो थे. प्राइम टाइम में इनकी हिस्सेदारी 126 घंटे से घट कर 38 घंटे पर आ गई यानी करीब 69 फीसदी की कटौती. आधिकारिक रूप से यह प्रतिबंध जनवरी 1 से लागू किया गया.
फुटपाथ पर सोने वालों से ले कर अमीरों के तबके तक में कहीं गाने के मुकाबले में हिस्सा लेने की होड़ है तो कहीं युवाओं को मिलाने वाले कार्यक्रमों का जलवा. पर सार्फ्ट ने कह दिया है कि इन सबकी जगह चैनल नैतिकता और संस्कारों को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को जगह दें. गायकी और दूसरी प्रतिभाओं की खोज करने वाले कार्यक्रमों की संख्या भी हर साल के लिए 10 पर सीमित कर दी गई है. बीजिंग की शिन्हुआ यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर और टेलीविजन नियमों के जानकार डॉ ग्रेस लेउंग कहती हैं, "सार्फ्ट नहीं चाहता कि प्रांतीय टेलीविजन से सीसीटीवी के राष्ट्रीय असर को कोई खतरा हो. इसलिए इन लोगों ने कई कार्यक्रमों को रोक दिया है."
सोमवार को जारी हुए नए फरमान के बाद विदेशी कार्यक्रमों को दिखाए जाने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी. इनमें से ज्यादातर हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया से आते हैं. चीन के सरकारी अखबार के मुताबिक इस नियम का पालन न करने वाले चैनलों पर कठोर कार्रवाई होगी. अखबार में यह भी कहा गया है, "इस कदम से, चीन की टेलीविजन कंपनियों के बनाए कार्यक्रमों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होगा."
सार्फ्ट चीन की सत्ताधारी पार्टी के प्रचार विभाग के मातहत काम करता है और यह पार्टी के मत के हिसाब से टेलीविजन उद्योग को ढालने में जुटा है. डॉ लेउंग कहती हैं, "देश की 96 या 97 फीसदी आबादी टीवी देखती है. ऐसे में यह प्रचार का सबसे प्रभावशाली माध्यम है. सार्फ्ट का एक प्रमुख काम विचारों पर लगाम लगाना है."
पिछले साल सितंबर में सार्फ्ट ने सुपर गर्ल नाम के शो को बंद करवा दिया. जब यह कार्यक्रम अपने उफान पर था, तब इसके लिए 40 करोड़ एसएमएस आते थे. इसके बाद डेटिंग शो इफ यू आर द वन पर भी लगाम लगाने की कोशिश की गई हालांकि यह शो अभी भी जारी है.
वैसे नया नियम सरकार को नुकसान भी पहुंचा सकता है. देश में 50 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं और इनमें से ज्यादातर मनोरंजन के लिए टीवी का पल्लू छोड़ रहे हैं. उन्हें अपने लैपटॉप और स्मार्टफोन पर ही मनपसंद मनोरंजन मिल रहा है. यहां सेंसरशिप के कानून उतने सख्त नहीं और सरकार की पकड़ थोड़ी ढीली है.
रिपोर्टः आईपीएस/एन रंजन
संपादनः महेश झा