विदेशी ताकतों का टेस्टिंग ग्राउंड बना सीरिया
२७ फ़रवरी २०१८सीरिया की राजधानी दमिश्क के पास बसे पूर्वी घूटा में लंबे समय बाद कुछ राहत महसूस हुई. सुबह नौ बजे रूस के संघर्ष विराम के एलान के बाद बड़ी संख्या में आम लोग शहर से बाहर निकलने लगे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बढ़ते दबाव के बीच सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मानवीय आधार पर संघर्ष विराम का एलान किया. मंगलवार को पूर्वी घूटा पर कोई हवाई हमला भी नहीं किया गया.
संघर्ष विराम सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक लागू होगा. इस दौरान पूर्वी घूटा से आम नागरिकों को बाहर निकलने के लिए रास्ता मुहैया कराया जाएगा. रूस बीमार और घायलों को बाहर निकालने में मदद करेगा. रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सीरिया की सरकार की मदद से संघर्ष विराम लागू किया जाएगा.
पिछले एक महीने से पूर्वी घूटा में सीरिया की सेना कार्रवाई कर रही है. बीते हफ्तों में ही 500 से ज्यादा आम नागरिक मारे जा चुके हैं. स्वतंत्र निरीक्षकों, मानवाधिकार समूहों और अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक रूस के लड़ाकू विमान भी लगातार सीरियाई सेना की मदद कर रहे हैं. मृतकों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एकमत से 30 दिन के संघर्ष विराम का समर्थन किया. इसके बाद ही रूस और सीरिया को अस्थायी संघर्ष विराम का एलान करना पड़ा. संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए यूएन महासचिव आंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि पांच घंटे का संघर्ष विराम, कुछ नहीं से बेहतर है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अब विद्रोहियों के आखिरी गढ़ को खत्म करना चाहते हैं. असद शांति वार्ता की बहाली से पहले ही पूर्वी घूटा में विद्रोहियों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.
सीरिया में बीते सात साल से गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है. 2011 में राष्ट्रपति असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक बंदियों की रिहाई और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की. असद ने ताकत का इस्तेमाल कर प्रदर्शनों को खत्म करने की कोशिश की. इसके बाद असद और विरोधियों के बीच सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया. इसी दौरान इस्लामिक स्टेट सामने आया. तब से अब तक सीरिया में 3,00,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
सीरिया से इस्लामिक स्टेट के करीब करीब सफाये के बाद अब सीरिया में रूस, अमेरिका, ईरान, तुर्की और इस्राएल भिड़ रहे हैं. रूस किसी भी तरह असद को बचाना चाहता है. रिपोर्टों के मुताबिक सीरिया में असद के लिए रूस और ईरान के लड़ाके भी लड़ रहे हैं. साथ ही मॉस्को सीरिया में अपने हथियार भी टेस्ट कर रहा है. ईरान सीरिया पर शिया संप्रदाय का प्रभाव बढ़ाना चाहता है. वहां सुन्नियों को शिया बनाने के प्रोग्राम भी चल रहे हैं. ईरान के दखल से परेशान होकर इस्राएल भी संघर्ष में कूदा है. वहीं कुर्दों की मदद से इस्लामिक स्टेट की हालत खस्ता करने वाला अमेरिका अब भी कुर्द लड़ाकों के साथ खड़ा है. कुर्द लड़ाके सीरिया और तुर्की की आंखों में चुभ रहे हैं. तुर्की उत्तर सीरिया में कुर्दों के मजबूत गढ़ों पर हमले कर रहा है.
ओएसजे/एके (रॉयटर्स, एएफपी)