विदेशी मूल के ब्रिटिश शाही शादी से उदासीन
१३ अप्रैल २०११ब्रिटेन में कई भाषा, जाति, संस्कृति वाले दुनिया भर के लोग रहते हैं. एक अति आधुनिक देश जो अब भी सालों पुरानी राजशाही की परंपरा आगे बढ़ा रहा है. ब्रिटेन में विदेशी मूल के नौ फीसदी लोग रहते हैं और लंदन में इनकी संख्या 30 प्रतिशत है. इन लोगों को प्रिंस फिलिप और केट मिडलटन की शादी में कोई रुचि नहीं है.
हालांकि अधिकतर लोग शाही परिवार को एकता और गर्व का प्रतीक मानते हैं. लेकिन इस पर भी तेज बहस हो रही है कि 21वीं सदी में राजशाही कितनी प्रासंगिक है.
तारा विंडसर कहती हैं, "कई बार यह बेतुका लगता है. मैं प्रिंस फिलिप की हल्की सी नस्ली टिप्पणियों या प्रिंस हैरी के नाजी यूनिफॉर्म पहनने के बारे में सोच रही हूं. लेकिन आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि वे ब्रिटिश संस्कृति का संदर्भ हैं. उनके साथ काम करने को आप टाल नहीं सकते."
तारा कहती हैं, "मेरी दादी शाही परिवार में काफी रुचि लेती थी, खासकर प्रिंसेस डायना की मौत के विषय पर. मुझे लगता है कि भारत में भी इस परंपरा के लिए बहुत आदर है. इसलिए दादी यह समझ सकती थी कि क्यों लोग अपनी परंपरा पर इतना गर्व करते हैं."
वहीं 2004 में इरिट्रिया से ब्रिटेन में आई मेसगेना कहती हैं, "मुझे राजशाही के बारे में कुछ नहीं पता. लेकिन मैं जानती हूं कि विलियम बहुत दयालु हैं. वह और उनका काम ब्रिटेन का अच्छा प्रतिनिधित्व है."
अंगोला में पैदा हुईं मारियो डिएगो बताती हैं, "मुझे याद है कि जब प्रिंसेस डायना 1997 में हमारे देश आई थीं. वह बारूदी सुरंगों वाली जमीन पर चल रही थीं और उन्हें कोई डर नहीं था. उन्होंने गरीबी देखी. युद्ध के कारण विकलांग हुए बच्चों को उन्होंने गोद में उठाया. अगर प्रिंस विलियम उनके कदमों पर चलते हैं तो निश्चित ही अच्छे राजा होंगे."
जमैकन मूल के 53 वर्षीय टोनी ग्रीन कहते हैं, "उनसे सिर्फ सैलानी ही आर्कषित नहीं होते, लोग जानते हैं कि शाही परिवार उनका ध्यान रखने के लिए है. इस विचार से सुकून मिलता है. उनकी अपनी जगह और काम है." ग्रीन कहते हैं, "मैं उस शाही शादी को देखने में नहीं लगा रहूंगा. मैं उस दिन छुट्टी का आनंद लूंगा और टीवी पर समारोह की मुख्य हाइलाइट्स देख लूंगा."
रिपोर्टः डीपीए/आभा एम
संपादनः वी कुमार