विपक्षी नेता की हत्या से पुतिन दबाव में
२ मार्च २०१५शतरंज के पूर्व विश्व चैंपियन और रूसी विपक्षी नेता गैरी कास्परोव ने वॉशिंगटन में कहा, "मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं है कि रूस पुतिन की बर्बर तानाशाही से निकलकर 10 साल पहले जैसे हल्के उदारवादी हालात देख पाएगा." स्वनिर्वासन के चलते अमेरिका में रहने वाले कास्परोव ने बोरिस नेम्तसोव की हत्या को रूसी समाज के लिए एक बड़ा झटका बताया.
क्रेमलिन के पास हत्या
नेम्तसोव की शुक्रवार रात मॉस्को में रूसी संसद के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई. 55 साल के नेम्तसोव भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों का खुलेआम विरोध करते रहे. 1990 के दशक में बोरिस येल्तसिन के कार्यकाल में वह रूस के उप प्रधानमंत्री भी रहे. एक वक्त ऐसा था जब उन्हें रूस का भावी राष्ट्रपति माना जा रहा था.
रविवार को उनकी हत्या के विरोध में मॉस्को में प्रदर्शन हुए. हत्या से पहले नेम्तसोव ने क्रेमलिन के सामने प्रदर्शन की योजना बनाई थी. सोमवार को नेम्तसोव को याद करते हुए यह प्रदर्शन हुआ. नेम्तसोव रूस के उन गिने चुने दिग्गजों में से एक थे, जो विरोध के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाने की वकालत करते थे.
किसने की हत्या
प्रशासन ने हत्या के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है. अधिकारियों के मुताबिक नेम्तसोव की "शहादत" की आड़ में विपक्ष "बिखरे आंदोलन को एक" करना चाह रहा है.
वहीं विरोधियों ने हत्या के लिए रूसी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. कास्परोव के मुताबिक विपक्ष के लिए यह हत्या एक साफ संकेत है, प्रशासन जता रहा है कि "हम तु्म्हें सजा देने में समय बिल्कुल बर्बाद नहीं करेंगे. यह बिल्कुल नहीं जताएंगे कि हम कानून का पालन कर रहे हैं. हम आराम से तुम्हें मिटा देंगे."
फ्रांस ने हत्या की जांच कराने की मांग की है. फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरें फाबियुस के मुताबिक नेम्तसोव की हत्या "कई सवालों की श्रृंखला उठाती है."
पुतिन को झटका
आम तौर पर रूस के मामलों में चुप रहने वाले चीनी मीडिया ने भी नेम्तसोव की हत्या को व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका करार दिया है. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा, "इस घटना ने रूस की राष्ट्रीय एकता पर गहरा आघात किया है और इस मुश्किल मुद्दे को हल कर रही रूसी सरकार पर और दबाव बढ़ा दिया है."
सोमवार को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूसी विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव की बातचीत भी हुई. दोनों नेताओं ने मीडिया के कैमरों के सामने हाथ तो मिलाए लेकिन चेहरे पर औपचारिक मुस्कान भी नहीं थी. 80 मिनट तक चली बातचीत में केरी ने लावरोव के सामने सख्त लहजे में यूक्रेन और नेम्तसोव का मुद्दा उठाया.
ओएसजे/आरआर (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)