विरोध रैली के बीच मैर्केल का ग्रीस दौरा
९ अक्टूबर २०१२यूरो संकट के शुरू होने के बाद यह मैर्केल का पहला ग्रीस दौरा था. लेकिन सरकारी बचत पर उनका कड़ा रुख ग्रीस की राजनीति में पूरे समय महत्वपूर्ण रहा है. दो- दो चुनाव के बाद कंजरवेटिव नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अब मैर्केल ने ग्रीस का दौरा किया और मदद के आश्वासन के अलावा भरोसा जताया कि ग्रीस यूरो जोन में बना रहेगा. प्रधानमंत्री अंटोनिस समारास के साथ मुलाकात के बाद उन्होंने ग्रीस से प्रयासों को जारी रखने की मांग की.
मैर्केल ने बताया कि जर्मन देखरेख में चलने वाली यूरोपीय संघ की दो परियोजनाएं शुरू हो सकती हैं. 3 करोड़ यूरो की ये परियोजनाएं क्षेत्रीय प्रशासनिक ढांचे के निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी से जुड़ी हुई हैं. मैर्केल ने यह भी कहा कि वे मास्टरनी या पैसा देने वाले के रूप में नहीं आई हैं बल्कि हालात का जायजा लेने आई हैं. "जर्मनी के अनुभवों से हम जानते हैं कि सुधारों को लागू करने में कितना वक्त लगता है." उन्होंने कहा, "रास्ता लम्बा है लेकिन मैं समझती हूं कि सुरंग के अंत में हम रोशनी देखेंगे."
मैर्केल ने कहा कि उन्हें पता है कि उनका दौरा अत्यंत मुश्किल समय में हो रहा है. "बहुत से लोग तकलीफ में हैं, उनसे से बहुत ज्यादा बलिदान की मांग की जा रही है." उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उन्हें भरोसा है कि यह रास्ता ग्रीस के लिए फायदेमंद रहेगा. चांसलर ने कहा कि समारास के साथ बातचीत में साफ हो गया है कि हर दिन प्रगति हो रही है.
एक ओर भारी बचत करने तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और अपनी जनता को संतुष्ट करने का दबाव झेल रहे समारास ने कहा कि उनका देश सुधारों के वचन को पूरा करेगा. "ग्रीस की जनता यूरो जोन में रहना चाहती है. जिन लोगों ने ग्रीस के अस्त होने की बाजी लगाई है वे बाजी हारेंगे."
मैर्केल के दौरे पर एथेंस में 25,000 लोगों का बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसके दौरान हिंसक दंगे हुए. पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. कठोर बचत की मांग करने के कारण मैर्केल को ग्रीस के संकट के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया और जर्मनी के नाजी अतीत के साथ भी तुलना की गई.
इस समय ग्रीस को कर्ज देने वाले दाता संस्थानों अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूरोपीय आयोग और यूरोपीय बैंक की तिकड़ी ग्रीस की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसके आधार पर उसे कर्ज की अगली किश्त देने का फैसला होगा. ग्रीस की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल से मंदी का शिकार है.
एमजे/एएम (डीपीए, एएफपी)