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विश्व पुस्तक मेले में भारतीय सिनेमा पर नजर

२७ फ़रवरी २०१२

विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने दुनिया के सबसे सस्ते टेबलेट पीसी आकाश की तारीफ करने का मौका नहीं छोड़ा. नौ दिन चलने वाले दिल्ली पुस्तक मेले में ढाई हजार से ज्यादा स्टॉल.

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विश्व पुस्तक मेलातस्वीर: DW

सिब्बल का कहना है कि देश में हर बच्चा किताबें पढ़ सके और इसके लिए उन्हें भारी कीमत भी ना चुकानी पड़े. उन्होंने पुस्तक मेले को दो साल में एक बार की बजाए हर साल करने की भी पैरवी की.

साइकल पर यूरोप का सफर

छात्रों और शिक्षकों की भीड़ तो यहां है ही साथ में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जीवन में नए नए रोमांच ढूंढ रहे हैं. ऐसे ही एक हैं पंजाब के हरजिंदर सिंह जिन्होंने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया कि वह जल्द ही साइकिल पर यूरोप यात्रा करने निकल रहे हैं. हरजिंदर सिंह हैं तो स्कूल में टीचर लेकिन अपनी छोटी सी आमदनी में भी पूरी दुनिया घूम लेना चाहते हैं. जून में फ्रेंकफर्ट पहुंच कर हरजिंदर एक पुरानी साइकिल खरीदेंगे और यहां से शुरू होगा उनका सफर जो ढाई महीनों तक चलेगा. इस दौरान वह ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, बेल्जियम, नीदरलैंड्स और जर्मनी घूम लेना चाहते हैं.
इस सब के लिए उनकी तैयारी है उनका एक बस्ता जिसे कंधे पर टांग कर वह निकल पड़ेंगे. इस बस्ते में उनके चंद कपड़ों के साथ एक टेंट भी रखा है. हरजिंदर ने खुद को इस बात के लिए तैयार किया हुआ है कि शायद उन्हें अपने इस रोमांचक सफर में सड़कों पर रात गुजारनी पड़े. जाहिर है ढाई महीने लगातार वह होटल का खर्चा तो नहीं उठा पाएंगे. इसलिए वह रहेंगे "काउच सर्फर" के साथ. काउच सर्फर वह लोग होते हैं जो कभी कुछ दिन के लिए घर से बाहर जाएं तो अपना घर किसी को रहने के लिए दे जाते हैं. इसके लिए वे पैसे नहीं मांगते. बस इतनी उम्मीद करते हैं कि अगर कभी उन्हें कहीं जाना पड़े तो उन्हें भी इसी तरह मुफ्त की रहने की जगह मिल सके. हरजिंदर ऐसे कई काउच सर्फर के साथ संपर्क में हैं.
उनका कहना है कि वह प्रतिदिन साइकिल पर करीब सौ किलोमीटर का सफर तय करेंगे. यह सुनने में ज्यादा जरूर लगता है लेकिन हरजिंदर का कहना है कि उन्हें हर रोज तीस से चालीस किलोमीटर साइकिल चलाने की आदत है. पश्चिम में इस तरह के किस्से काफी सुनने को मिलते हैं. कई बार लोग नेक काम के लिए पैसा इकठ्ठा करने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन हरजिंदर के पास ऐसे कोई कारण नहीं हैं. वह बस दुनिया देखना चाहते हैं और भारत के बाहर के देशों को समझना चाहते हैं.

International Book fair 2012 in New Delhi, India also show cases books on 100 years of Indian cinema. Copyright: DW/Isha Bhatia
नई दिल्ली में पुस्तक मेलातस्वीर: DW

सिनेमा से टैगोर तक
विश्व पुस्तक मेले में इस साल की थीम है भारतीय सिनेमा के सौ साल. इस मौके पर मेले में भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्में दिखाई जा रही हैं और सिनेमा पर चर्चा भी की जा रही है. यहां साहित्य और सिनेमा को जोड़ कर देखा जा रहा है और करीब चार सौ किताबें प्रदर्शित की जा रही हैं. मेले के पहले दिन सत्यजीत रे द्वारा प्रदर्शित फिल्म पाथेर पांचाली दिखाई गई. भारत में बॉलीवुड की दीवानगी को देखते हुए इस साल का थीम लोगों को खूब भा रहा है. जहां टिकटें खरीदने के लिए लोग आपस में लड़ जाते हैं वहां बिना टिकट लिए ही एक से एक फिल्में देखने को मिलें तो क्या कहने. थीम पवेलियन के बाहर एक बाईस्कोप भी लगाया गया है. इसकी खिड़कियों में झांक कर पुराने अंदाज में फिल्म देखने के लिए लोगों की भीड़ खत्म ही नहीं हो रही है.

विश्व पुस्तक मेले में इस बार रवीन्द्र नाथ टैगोर की 150वीं वर्षगांठ भी मनाई जा रही है. एक खास प्रदर्शनी में उनके जीवन से संबंधित चित्र दिखाए जा रहे हैं. यहां गुरुदेव के जीवन के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है. टैगोर द्वारा और उन पर लिखी गई किताबों को यहां प्रदर्शित किया जा रहा है. इन में बांग्ला, हिन्दी, अंग्रेजी समेत कई अन्य भाषाओं में किताबें शामिल हैं. इस प्रदर्शनी का आयोजन साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय ने मिल कर किया है. ऐसी ही एक प्रदर्शनी दिल्ली पर भी लगाई गई है. चित्रों के माध्यम से इस प्रदर्शनी में दिल्ली के सौ साल के इतिहास को समझा जा सकता है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया, नई दिल्ली

संपादनः आभा एम