वैलेन्टाइन डे और प्रेम
१४ फ़रवरी २०१०रिश्ते की अहमियत ज़रूरीः प्यार से ज्यादा अहम है उसकी क़द्र. यदि प्यार की गहराइयों को नहीं समझ पाएंगे तो शायद कभी प्यार ही नहीं हो. प्यार का अर्थ होता है सम्मान. यह कोई मज़ाक का रिश्ता नहीं, जिसका मखौल बनाया जाए. इस रिश्ते को जितना गोपनीय रखा जाए, उतना आनन्द है.
स्वार्थ से परेः कहते हैं जिस रिश्ते में प्रेम का सामना स्वार्थ से होता है वह अपनेपन का नहीं बल्कि औपचारिकता और अजनबीपन का रिश्ता है. प्रेम के रिश्तों में तो स्वार्थ और अहम के स्थान पर अदब, आग्रह और अपनापन होता है, जो इस रिश्ते को बोझिल बनाने से रोकता है. इस रिश्ते में अपने प्रेमी की खुशी में अपनी खुशियों की जगह बनाई जाती है ताकि आपसे प्यार करने वाले को यह आभास हो कि आपके लिए वो ही सर्वोपरि है.
रिश्ते में गंभीरताः प्रेमी का चुनाव नहीं होता है, वो तो जाने-अनजाने किसी बहाने से जीवन में दस्तक देकर जिंदगी बन जाता है. प्रेम का रिश्ता शरारतों और हंसी ठिठोली का रिश्ता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस मौज मस्ती में गंभीरता का ही त्याग कर दें. प्यार कोई इस्तेमाल की वस्तु नहीं, जिसका जीभर के इस्तेमाल कर छोड़ दिया जाए. यह तो उम्र भर साथ निभाने वाला साथी है, जो रिश्ते में वफा और गंभीरता की उम्मीद लगाए बैठा है. हर रिश्ते की तरह प्रेम में भी गंभीरता लाज़िमी है, क्योंकि इसीसे यह रिश्ता टिकाऊ बनता है.
बदले की भावना न पनपेः एक दूसरे की बराबरी करने और उसे नीचा दिखाने के लिए उसके कृत्य को उसी के सामने दोहराना समझदारी का नहीं, बल्कि मूर्खता का परिचायक है. प्रेम की गाड़ी को जीवन के पथ पर सरपट चलाने के लिए जरूरी है दोनों में से किसी एक का समझदार और गंभीर होना. एक दूसरे के प्रति द्वेष रख कर यदि प्यार का ढोंग हो तो दोनों का वक्त और जिंदगी बर्बाद होता है.
आलोचक अच्छेः आलोचकों का साथ होने पर प्रेम का मजा अलग है. आलोचक ही वो लोग हैं, जो अफवाहों के बीच किसी रिश्ते को जन्म देते हैं और चर्चाओं के बाज़ार को गर्म रखते हैं. ये फुर्सती लोग अपने ढंग से प्यार को नई दिशा और गति देते हैं और प्रेमी अपनी समझदारी से अपने रिश्ते को नया आयाम और ऊंचाइयां देते हैं. इसलिए बेहतर होगा ऐसे आलोचकों की सुनने के बजाय अपने रिश्ते को गंभीर बनाने के प्रयास किए जाएं और साल के हर दिन अपने प्रेम का इज़हार किया जाए.