असद से बातचीत बिना नहीं बनेगी बात
२४ सितम्बर २०१५मैर्केल ने जर्मन संसद को संबोधित करते हुए बताया कि शरणार्थियों की समस्या से तभी ठीक तरीके से निपटा जा सकता है जब उनके देश छोड़ने के कारणों को देखा जाए. मैर्केल ने कहा, "यह तभी हो सकेगा जब हमारे ट्रांसएटलांटिक पार्टनर, अमेरिका, रूस और मध्यपूर्व के देश सीरिया की विकट स्थिति को संभालने में मदद करें."
ब्रसेल्स में हुई आपातकालीन बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, "जिन देशों से ये लोग आ रहे हैं, हमें उन देशों में स्थायित्व लाने के लिए और प्रयास करने होंगे."
कई महीनों की बहस के बाद यूरोपीय संघ के नेताओं में ईयू की बाहरी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने और मध्यपूर्व में रह रहे सीरियाई शरणार्थियों के भरण पोषण और उन्हें आगे यूरोप की ओर आने के लिए हतोत्साहित करने के लिए और ज्यादा आर्थिक मदद देने पर सहमति बन गई है.
28 देशों के ब्लॉक ईयू में इस साल अब तक मध्यपूर्व और अफ्रीका के संकटग्रस्त इलाकों से भाग कर आने वालों की संख्या पांच लाख तक पहुंच गई है. नवंबर तक ग्रीस और इटली में हॉटस्पॉट केंद्रों में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए ईयू के विशेष अधिकारियों के दस्ते भी तैनात कर दिए जाएंगे.
सभी यूरोपीय नेताओं ने तुर्की के साथ बातचीत बढ़ाने पर सहमति बनाई, जिसने करीब 20 लाख रिफ्यूजियों को पनाह दी है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के 5 अक्टूबर को ब्रसेल्स आने की उम्मीद है.
इसके अतिरिक्त ईयू सम्मेलन में सीरिया में युद्ध खत्म करवाने के लिए "यूएन की अगुआई में नए अंतरराष्ट्रीय प्रयास" करने की जरूरत पर बल दिया गया. इसी युद्ध की स्थिति के कारण वहां से अब तक 1.2 करोड़ लोग अपना घर छोड़कर भाग चुके हैं. इस पर चांसलर मैर्केल ने कहा कि सीरिया में शांति लाने के लिए राष्ट्रपति बशर अल असद समेत इस संकट से जुड़े सभी किरदारों से बातचीत करनी होगी.
ईयू अध्यक्ष और प्रधानमंत्रियों की 15-16 अक्टूबर को ब्रसेल्स में होने वाली अगली बैठक में इस पर फिर से चर्चा होगी. तब तक सभी सरकारें और ईयू संस्थाएं तत्कालित जरूरतों को पूरा करने के लिए तेज कदम उठाएंगी.