श्टुटगार्टः प्रसिद्धियों का शहर
२७ अगस्त २००९दसवीं सदी में यहां एक विशाल घोड़ा फार्म था जिसे “श्टूटेनगारटेन” कहा जाता था. उसी से नाम पड़ा श्टुटगार्ट. 1321 में ये वुरटेमबर्ग की ड्युक कैपीटल बना औफ 1806 में शाही कैपीटल. ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच बसा श्टुटगार्ट एक अहम औद्योगिक शहर है और यहां कई प्रमुख उत्पादन इकाइयां हैं. अपनी मर्सिडीज़ औऱ पोर्श कारों के लिए तो ये प्रसिद्ध है ही, प्रकाशन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी श्टुटगार्ट की ख्याति है. श्टुटगार्ट अपने कला रूपों के लिए मशहूर है. जर्मनी का मशहूर हिप हॉप रॉक यही की पैदायश है. “डि फैन्टासटिशेन फियर” यानी ‘फैनटास्टिक फोर' का स्थानीय ग्रुप जर्मनी के रॉक दीवानों के बीच खासा लोकप्रिय है.
छवि की विविधता
श्टुटगार्ट की छवि का एक फौरी मूल्यांकन करना हो तो श्लॉसप्लात्ज़ से शुरू करें, क्योनिंग्सस्त्रास पर बढ़े श्लॉसगार्टन यानी शाही बागीचे की तरफ़. रास्ते भर कई अहम इमारतों को निहारें औऱ थोड़ा रूक कर रास्ते में ही श्टाट्सगैलरी भी घूम आएं जिसका डिज़ायन ब्रिटिश आर्किटेक्ट जेम्स स्टर्लिंग ने तैयार किया था. वहां से आप लौंटे कोनराड- आदिन्योर स्त्रास से और जाएं कार्ल्सप्लात्ज़ की तरफ़, उसके बाद शिलरप्लात्ज़ और माख्टप्लात्ज़ जहां एक भव्य टाउन हॉल आप देख पाएंगे और आखिर में आप अपनी मूल्याकंन यात्रा या सैलानी कर्म पूरा करते हैं हेगेलहाउस म्युज़ियम के दर्शन कर. श्टुटगार्ट अपने दर्शनीय विविधता का पिटारा आपके सामने खोल देता है.
ये रहा शहर
श्लॉसप्लात्ज़ के बीचोंबीच एक विजय-स्तंभ है- “जुबिलएउमत्ज़ेआउले”- ये स्तंभ 1842-46 में बन कर तैयार हुआ था औऱ इसे विल्हेल्म प्रथम के शासन के 25 साल पूरे होने की याद में खड़ा किया गया था. इस चौराहे मे कई प्रसिद्ध कलाकारों के बनाए मूर्तिशिल्प रखे गए हैं. चौराहे के पूर्व में विशाल महल है.- नोए श्लॉस जिसे 1746-1807 में बनाया गया था और इसकी विपरीत दिशा में है 1856-60 में बना नव क्लासिकी स्थापत्य का नमूना क्योनिंसबाउ. महल के उत्तर की तरफ़ फैले हुए हैं 19 वीं सदी के बने अद्भुत विशाल बागीचे. यहां कई सौंदर्यपरक विधान रचे गए हैं और ख़ास आकर्षण का केंद्र है कार्ल साइत्ज़ प्लैनिटेरियम. पार्क के एक किनारे पर नव- क्लासिकी थियेटर की इमारत-“वुरटेमबर्गिशेस श्टाट्सथियेटर.” 1909-12 में माक्स लिटमान ने इसकी स्थापना की थी.
श्टुटगार्ट का निहायत ही दर्शनीय स्थल है शिलरप्लात्ज़. कहते हैं यहीं पर घोड़ा का वो फार्म हुआ करता था जिससे शहर का नाम श्टुटगार्ट पड़ा. चौराहे पर यहां फ्रीडिश शिलर की एक भव्य मूर्ति रखी गयी है. शिलर प्लात्ज़ के इर्दगिर्द कई ऐतिहासिक इमारते हैं.
दार्शनिक-वैज्ञानिक का घर
जैसे ट्रियर की पहचान कार्ल मार्क्स का घर है वैसे ही श्टुटगार्ट की पहचान है महान दार्शनिक हेगेल का घर. 27 अगस्त 1770 को इसी शहर में जॉर्ज विलहेल्म फ्रीडरिश हेगेल का जन्म हुआ था. उनका घर अब एक संग्रहालय है जहां देश दुनिया से सैलानी आगतुंक कार्यकर्ता और शोधार्थी आते हैं. यहां हेगेल के जीवन और काम से जुड़ी पर्याप्त सामग्री निशानियां और दस्तावेज़ रखे हुए हैं.
श्टुटगार्ट को हेगेल के अलावा 16वीं-17वीं शताब्दी के महान वैज्ञानिक चिंतक केपलेर के लिए भी याद किया जाता है. शहर के नज़दीकी इलाकों में( 15-20 किलोमीटर दूर) “वाइल डेर श्टाड्ट' नाम की जगह पर प्रसिद्ध खगोलशास्त्री 1571 में पैदा हुए थे. योहानस कैपलर का खगोलविज्ञान और भौतिकी को जो अप्रतिम योगदान है उसमें उनका ग्रहीय गति के तीन नियम- ‘थ्री लॉज़ ऑफ प्लैनिटेरी मोशन' भी शामिल है. जुड़वां लेंस वाले टेलीस्कोप का आविष्कार कैपलर ने ही किया था.
श्टुटगार्ट में कार
बौद्धिक शोध और वैज्ञानिक जगत अगर श्टुटगार्ट को हेगेल और कैपलर की वजह से याद आता है तो नए ज़माने के टेक्नोक्रेट्स, इंज़ीनियरों उद्योगपतियों और महा-धनिकों के लिए श्टुटगार्ट का महत्व है उसकी दो आलीशान कारो में-मर्सिडीज़ और पोर्शे. इन दो कारों का निर्माण तो यहां होता ही है उनके संग्रहालय भी यहां है. तकनीक की कई पीढियों की लगन और मेहनत की झांकी प्रदर्शित करते. यहां मशहूर स्पोर्टस कार पोर्शे का भी संग्रहालय है और ओबेरट्युर्कहाइम क़स्बे में है मर्सिडीज़ बेन्ज़ का संग्रहालय. इसके अति भव्य संग्रह में कार निर्माण का विकास दर्शाया गया है. सबसे शुरूआती मॉडलो से आज के स्टेट ऑफ द आर्ट कम्प्यूटरीकृत मॉडलों तक. संग्रहालय में 70 ऐतिहासिक कारें भी रखी गयी हैं.
इसमें दुनिया के दो सबसे पुराने ओटोमोबाइल वाहन भी शामिल हैं- गॉटलीब डैमलर की घोड़ा विहीन बग्घी और कार्ल बेन्ज़ की तीन पहियों वाली गाड़ी. 1930 में जापान के बादशाह के लिए हाथ से बनायी गयी लिमोसीन कार भी यहां दिख जाएगी. और पहली पोपेमोबाईल भी जो निर्मित की गयी थी पोप पॉल छठवें के लिए.
मर्सिडीज़ संग्रहालय में आप डैमलर-बेन्ज़ का इतिहास भी दर्ज है. 1926 में इस साझा कंपनी की स्थापना डैमलर-मोटोरेन-गैज़ेसशाफ्ट और बेन्ज़ एंड सी., राइन नाम की कंपनियों के विलय से हुई थी. 1999 में कंपनी का क्रिसलर कंपनी में विलय हो गया और इस तरह दुनिया का सबसे बड़ा कार निर्माण उपक्रम- डैमलरक्रिसलर सामने आया. श्टुटगार्ट के ही पोर्शे संग्रहालय के पास भी 50 कारों का नायाब संग्रह है. संग्रहालय के सिनेमाघर में में कंपनी के इतिहास की फिल्म भी देखी जा सकती है.
अंतरराष्ट्रीय शैली का जन्म
1927 में मशहूर स्थापत्यकारों के एक ग्रुप ने श्टुटगार्ट की एक प्रसिद्ध इमारत का निर्माण किया था- “वाइज़नहोफ्सीडलुंग.“ 1927 में शहर में एक निर्माण प्रदर्शनी आयोजित की गयी थी. हाउसिंग इसकी मुख्य थीम थी. और जो निकल कर आया वो आज़ भी एक महान रचना की तरह उपस्थित है- एक विशाल हाउसिंग इस्टेट. दूसरे विश्व युद्ध के समय इस इस्टेट की कुछ इमारतें बमबारी का निशाना बनी. इस स्थापत्य रचना का जादू निर्मित करने वाले कलाकार थे- मीज़ वान डेर रोहे, वाल्टर ग्रोपियस, हांस श्हारोन और ला कारबूज़िए. उनके बनाये एकीकृत हाउसिंग विस्तार ने, निर्माण उद्योग में क्रांति का सूत्रपात कर दिया और ये स्थापत्य और वास्तु शैली बाद में इंटरनेशनल स्टाइल के रूप में प्रसिद्ध हुई.
एक और प्रयोग
श्टुटगार्ट अब एक और नये नायाब और विहंगम स्थापत्य प्रयोग की ज़मीन बन गया है. श्टुटगार्ट 21 नाम से महत्वाकांक्षी रेल परियोजना यहां लगायी गयी जिसके तहत ज़मीन के भीतर ही रेलवे स्टेशन और पटरियां बिछाने का फैसला किया गया. विज्ञान की तरक्की से मुमकिन है कि आने वाले वक्तों में रेलगाड़ी अपना पूरा सफर पटरियों पर दौड़ेगी, इस फर्क के साथ कि समस्त पटरियां ज़मीन पर नहीं उसके नीचे होंगी.
आखिर श्टुटगार्ट किस किस चीज़ और किन किन व्यक्तियों के लिए मशहूर नहीं है. अपने कलाकारों दार्शनिकों और विज्ञानियों के लिए, अपने भवनों अपनी इमारतों, अपने इतिहास अपने उद्योग अपने स्थापत्य और अपने प्रयोगों के लिए श्टुटगार्ट एक निराल शहर है. इतनी प्रसिद्धियां एक शहर के हिस्से में आएं तो ये बात तो गहरा ध्यान खींचती ही है. श्टुटगार्ट का ये आकर्षण उसे शहर के रूप में एक विरल अनुभव देता है. और यहां आने वालों को भी.