सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम
३ अप्रैल २०१२हाफिज सईद आतंकवादी संगठन जमात उल दावा का संस्थापक है. इसके लश्कर ए तैयबा से भी करीबी संबंध रहे हैं. आरोप लगते हैं कि आतंकवादी संगठन खड़े करने में सईद की मदद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने भी की. इन संगठनों का मकसद अपने चिरप्रतिद्वंद्वी भारत पर कश्मीर में अस्थिरता फैलाकर दबाव बनाना था. पाकिस्तान ने अमेरिका के दबाव में 2002 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन इसकी गतिविधियों को रोकने के लिए कुछ खास नहीं किया गया. हाफिज सईद देश भर में खुलेआम अपनी हरकतों को जारी रखे हुए है. वह टीवी के टॉक शो में नजर आता है, जगह जगह सम्मेलनों में लोगों के सामने भाषण देता है.
अमेरिका ने लश्कर ए तैयबा के दूसरे बड़े नेता हाफीज अब्दुल रहमान मक्की के सिर पर भी 20 लाख डॉलर का इनाम रखा है. इन इनामों की जानकारी अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर डाली गई है. पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने इस बारे में जानकारी दी है. हाफिज सईद की गिरफ्तारी के लिए रखा गया इनाम अमेरिकी सरकार की तरफ से घोषित सबसे बड़े इनामों में से एक है. रकम तालिबान के मुखिया मुल्ला उमर के सिर पर रखे इनाम के बराबर है. इससे ज्यादा इनाम की रकम केवल अल कायदा के प्रमुख अयमान अल जवाहिरी के सिर पर है. जवाहिरी का पता बताने वाले को अमेरिकी ने 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम देने का एलान किया है. अल कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद जवाहिरी ही संगठन का नया मुखिया है.
भारत के एक अखबार के मुताबिक अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेन्डी शेर्मन ने भारत यात्रा के दौरान हाफिज सईद और अब्दुल रहमान मक्की की गिरफ्तारी के लिए इनाम का एलान किया. भारत ने अमेरिका के फैसले का स्वागत किया है.
अमेरिका का यह कदम खास तौर से ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते पहले से ही तनाव से गुजर रहे हैं. पाकिस्तान की संसद फिलहाल अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखने के लिए नई शर्तें तय करने में जुटी है. पिछले साल नवंबर में अमेरिकी हवाई हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद दोनों के बीच संबंधों में बहुत ज्यादा कड़वाहट आ गई है. पाकिस्तान ने इसके बाद अमेरिकी सैनिकों से अपना एयरबेस खाली करा लिया और पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाने वाली नाटो को रसद की आपूर्ति बंद कर दी. अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान जल्दी ही रसद की आपूर्ति का रास्ता खोल देगा. इस रास्ते के बंद होने की वजह से अमेरिका का मध्य एशिया की तरफ से दूसरे रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है जो उसके लिए काफी महंगा सौदा है. अमेरिका को 2014 तक अफगानिस्तान से अपने सैनिक और साजो सामान को वापस लाने के लिए इस रास्ते की जरूरत पड़ेगी.
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि अमेरिका इस रास्ते को हासिल करने के लिए पाकिस्तान की मांगों को मानेगा या नहीं. पाकिस्तान रास्ता खोलने के एवज में हमले के लिए बिना शर्त माफी और सामान की ढुलाई पर ऊंची दर से टैक्स देने की मांग कर रहा है. अमेरिका ने हमले पर दुख तो जता दिया है लेकिन माफी मांगने को तैयार नहीं है. वॉशिंगटन का कहना है कि हमला एक हादसा था. इसके साथ ही पाकिस्तान की मांग सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमलों को बंद करने की भी है. वैसे अभी यह साफ नहीं है कि पाकिस्तान ड्रोन हमला बंद कराने की मांग को रास्ता खोलने की शर्तों के साथ रखेगा या नहीं. पाकिस्तान के इस्लामी कट्टरपंथी इस रास्ते को खोलने का विरोध कर रहे हैं.
रिपोर्टः एपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह