सरकार पारदर्शिता का प्रकाश स्तंभ- मनमोहन सिंह
६ जुलाई २०१२कम बोलने के लिए मशहूर मनमोहन सिंह ने अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' से बातचीत के दौरान ये दावा किया है. प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को 'मीडिया रिपोर्ट से ज्यादा बेहतर' बताया और विदेशी निवेशकों पर लगाए जाने वाले टैक्स के बारे में भी सरकार की सोच को साफ किया. उन्होने कहा, 'अगर व्यक्तिगत ईमानदारी की बात की जाए तो मैंने न केवल खुद के आचरण को हमेशा ऊंचा रखा है बल्कि सरकार में भी कामकाज का स्तर सुधारने का प्रयार किया है. भारत के इतिहास में सरकार के काम में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को काबू करने के लिए इससे पहले इतने कम समय में इतने ज्यादा फैसले नहीं लिए गए.'' आम तौर पर मनमोहन सिंह मीडिया से दूर ही रहते हैं लेकिन अब जबकि राष्ट्रपति का चुनाव होना है और आर्थिक विकास की दर धीमी पड़ी है प्रधानमंत्री को खुद बचाव के लिए सामने आना पड़ा.
धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था के मसले पर उन्होने कहा,'' स्थिति जितनी निराशाजनक दिखाई पड़ रही है असल में उतनी है नहीं. ये निराशा बाजार में ज्यादा है जबकि हकीकत में कम है.'' 1991 में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह को खुले बाजार की अर्थव्यवस्था लागू करने का श्रेय दिया जाता है. प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद की दौड में शामिल होने के बाद वित्त मंत्रालय एक बार फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास है. हालांकि इंटरव्यू में उन्होने इस बात से इंकार किया है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में शामिल रही है लेकिन ये भी सच है कि अब तक का सबसे बडा़ 2-जी घोटाला उन्ही के कार्यकाल में हुआ है. 2-जी घोटाले में उस समय के टेलीकॉम मंत्री ए राजा को गिरफ्तार किया गया था.
मंद पड़े आर्थिक विकास के बारे में पूछे गए सवाल का जवाह देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. हालांकि उन्होने ये भी माना कि देश को कई 'चुनौतियों का सामना' करना पड़ रहा है. पिछले जनवरी से लेकर मार्च के महीने के बीच भारत की विकास दर 5.3 फीसदी रही जो कि पिछले 9 साल में सबसे कम है. इसके अलावा स्टैंडर्स एंड पुअर्स जैसे रेटिंग एजेंसी ने भी भारत की साख में कटौती की है. बड़ी विदेशी कंपनियों से टैक्स वसूलने की बात पर उन्होने कहा कि इस बारे में वो पूरी साफगोई से काम करेंगे. उन्होने कहा, ''निवेशकों को ये मालूम होना चाहिए कि भारत हर किसी से बराबरी का व्यवहार करता है.'' प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद वोडाफोन टैक्स विवाद के बारे में नए सिरे से कयास लजाए जा रहे है. सरकार ने जानी मानी कंपनी वोडाफोन पर टैक्स चोरी का आरोप लगाया था और उससे 11 हजार करोड़ का टैक्स मांगा था.
वीडी/एनआर(एएफपी, पीटीआई)