सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार
३ मई २०१३तिरंगा लिपटे ताबूत में रखा सरबजीत सिंह का शव उनके गांव के सरकारी स्कूल में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. यहां से उनकी शवयात्रा श्मशान घाट तक पहुंची और इस दौरान वहां लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी. स्थानीय समय के मुताबिक 1 बज कर 15 मिनट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री परणीत कौर, उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और समाज के सभी वर्गों से दूसरे कई प्रमुख लोगों समेत हजारों लोग पहुंचे. भारत पाकिस्तान की सीमा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद भिखिविंड गांव तरन तारन जिले में है.
पाकिस्तान के जिस कैदी पर हमला हुआ है उसका नाम सनाउल्लाह है और वह उम्रकैद की सजा काट रहा है. शुक्रवार की सुबह तड़के उस पर एक कैदी ने हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया. खबरों में उसके कोमा में होने की बात कही जा रही है. एक दिन पहले ही भारत के गृह मंत्रालय ने भारत की अलग अलग जेलों में बंद सभी पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया था. आशंका जताई जा रही है कि सरबजीत सिंह की मौत का बदला लेने के मकसद से पाकिस्तानी कैदी पर हमला किया गया. पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में भारत से बात की है और घायल कैदी तक कूटनीतिक सेवा मुहैया कराने की मांग की है.
उधर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि शांति की कोशिशों के बारे में पाकिस्तान सरकार की मंशा सरबजीत की हत्या से साफ हो गई है. इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार से भी कहा है कि सरबजीत सिंह के मामले को ज्यादा असरदार तरीके से उठाया जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा है, "पाकिस्तान में सरबजीत के लिए सहानुभूति थी, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक स्वतंत्रता की वकालत करने वालों ने सरकार पर लगातार सरबजीत की रिहाई के लिए दबाव बनाया, लेकिन बड़े दुख के साथ हमारा मानना है कि भारत सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की और न ही पाकिस्तान में उठती आवाजों को समर्थन दिया." इस बीच बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से यह जांच कराने की मांग की है कि किन परिस्थितियों में सरबजीत सिंह की मौत हुई. पाकिस्तान सरकार ने मौत का आरोप हमला करने वाले दो कैदियों पर लगाया है, और इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
भारत के एक पूर्व जासूस का कहना है कि सरबजीत सिंह पर हमला पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश रही होगी. महमूद एलाही नाम के इस जासूस ने पाकिस्तान की जेल में भी कुछ वक्त गुजारा है. उस समय राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी जिया उल हक के शासन के दौरान उसी जेल में बंद थे. इलाही ने कहा है, "मुझे कोई संदेह नहीं कि सरबजीत पर हमले की पहले से योजना बनाई गई थी और यह काम आईएसआई और जेल अधिकारियों का था, भले ही इसे अंजाम किसी और ने दिया. अब दो कैदियों को इस हरकत के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है." इलाही का दावा है कि 1977 में उसे एक पाकिस्तानी नेता की हत्या के लिए आईएसआई ने ब्लैंक चेक दिया. वह नेता उस वक्त लाहौर की जेल में बंद था.
इलाही ने सरबजीत सिंह पर हुए हमले के बारे में कहा, "दूसरे कैदियों के लिए सरबजीत पर हमला करना नामुमकिन है. मैं खुद पाकिस्तान की जेलों में 20 साल रहा हूं. मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं कि पाकिस्तानी कैदी कभी भी भारतीय या बांग्लादेशी कैदियों पर हमला नहीं करते. ये कैदी अलग कोठरियों में रखे जाते हैं." जासूसी के आरोप में इलाही 1977-1996 तक कैद में रहे.
एनआर/एमजे(पीटीआई, एएफपी)