सहायता संगठनों को डरा रहा है पाकिस्तान
१० मई २०१२ताजा मामला रेड क्रॉस के खलील डेल का है. डेल दक्षिण पश्चिमी पाकिस्तान के शहर क्वेटा से अगवा हुए. 29 अप्रैल को उनका शव मिला. 60 साल के डेल ब्रिटिश नागरिक थे, जिन्होंने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस मुश्किल से मुश्किल हालात में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए जाना जाता है. लेकिन डेल की हत्या से आतंक सा पसर गया है.
पाकिस्तान में इस वक्त कई सहायता संगठन हैं. ये संगठन देश की भलाई पर करोड़ों डॉलर खर्च कर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद उनके कर्मचारियों पर हमले बढ़ रहे हैं. पाकिस्तान मानवीय मंच (पीएचएफ) भी इसकी पुष्टि कर रहा है. पीएचएफ 50 अंतरराष्ट्रीय संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है.
2009 से अब तक पाकिस्तान में कम से कम 19 सहायता कर्मचारियों की हत्या हो चुकी है. 20 से ज्यादा अगवा किए जा चुके हैं. पीएचएफ के मुताबिक इन वारदात के पीछे आतंकवादी और अपराधी हैं.
पीएचएफ ने चेतावनी देते हुए कहा, "मानवीय सहायता संगठन और लोगों को निशाना बनाने के बढ़ते चलन का असर मानवीय संस्थाओं के कामकाज पर पड़ेगा." पाकिस्तानी संस्था के मुताबिक 2011 के अंत तक पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों के तहत 200 से ज्यादा विदेशी और 10,000 स्थानीय लोग काम कर रहे थे.
इस बीच रविवार को एक और वीडियो सामने आया. यह अमेरिकी सहायताकर्मी वारेन वाइनश्टाइन का है. वाइनश्टाइन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं. उन्हें बीते साल अगस्त में लाहौर में अगवा किया गया. काम के बाद घर लौटते वक्त 70 साल के वाइनश्टाइन को बंदूक की नोंक पर अगवा किया गया.
इटली और जर्मनी के सहायतकर्मियों का मुल्तान से अपहरण किया गया. लाहौर और मुल्तान को पहले सुरक्षित शहर माना जाता था. पश्चिम के एक बड़े सहायता सगंठन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "कुछ लोगों ने वहां जाने से इनकार कर दिया. हमारे यूरोप के कुछ ऑडिटरों ने आखिरी मिनट में न आने का फैसला किया. हमने अपनी सुरक्षा बढ़ाई है. हमारे सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि इस्लामाबाद में अब भी जोखिम कुछ कम है. लेकिन अपहरण बढ़ रहे हैं. मुल्तान जैसे शहरों पर हमें कभी ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी."
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. सीआईए ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का पता लगाने के लिए फर्जी मानवीय सहायता कार्यक्रम चलाया. इस दौरान सहायताकर्मियों ने घर घर जाकर इंजेक्शन लगाए. बीते साल मई में अमेरिका ने बिन लादेन को तो मार गिराया लेकिन इसके साथ ही सहायता संगठनों पर किए जाने वाले भरोसे की भी मौत हो गई.
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को एक तटस्थ संगठन के रूप में जाना जाता है. सामान्य तौर पर किसी भी देश में रेड क्रॉस पर हमले नहीं होते. कश्मीर में 2005 में आए भूंकप और फिर पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ के बाद रेड क्रॉस ने पाकिस्तान में आम लोगों की काफी मदद की. लेकिन पाकिस्तान को लेकर उसे रणनीति बदलनी पड़ रही है. रेड क्रॉस के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी प्रशासन विदेशी कर्मचारियों को वीजा देने में अड़चन खड़ी कर रहा है. हत्या और अपहरण के केस मामले हालत को और गंभीर बना रहे हैं. रेड क्रॉस के एक अधिकारी पाकिस्तान का दौरा कर जिनेवा लौट आए हैं. अब वह रिपोर्ट बना रहे हैं, जिसके बाद यह तय होगा कि क्या पाकिस्तान में रेड क्रॉस को अपना कामकाज कम करना चाहिए.
ओएसजे/एजेए (एएफपी)