साथ साथ चलें नेता और वैज्ञानिक
२६ जून २०११एक तरफ विशाल झील, तो दूसरी तरफ ऊंचे पहाड़. ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड की सीमा के साथ लगा है जर्मन द्वीप लिंडाऊ. प्राकृतिक सुंदरता निहारने साल भर सैलानी आते होंगे लेकिन हर साल एक बार यह शहर नोबेल पुरस्कार विजेताओं और युवा रिसर्चरों के लिए चर्चा में रहता है. अबकी बार जब दुनिया भर के नोबेल विजेता यहां जमा हुए, तो बात उठी कि किस तरह वैज्ञानिकों की मेहनत को नीति बनाते वक्त अमल में लाया जा सकता है.
जर्मन शिक्षा मंत्री शावान ने डॉयचे वेले से कहा, "नेताओं को वैज्ञानिकों की दक्षता की जरूरत है. उन्हें वैज्ञानिकों से लगातार बात करने की जरूरत है और मैं समझती हूं कि लिंडाऊ में हफ्ते भर इसके लिए भरपूर मौका है. यहां कई पीढ़ियां, वैज्ञानिक और नेता एक साथ मिल सकते हैं." लिंडाऊ में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ कई देशों के मंत्री भी पहुंच रहे हैं.
शावान ने बीती बातें छोड़ भविष्य पर ध्यान देने की सलाह देते हुए कहा, "मेरा हमेशा से तर्क रहा है कि रिसर्च के क्षेत्र में भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. इसलिए मैं यहां कई देशों के युवा वैज्ञानिकों को बुलाती हूं."
लिंडाऊ के इस सालाना आयोजन में दो दर्जन नोबेल पुरस्कार विजेताओं की बात सुनी जाएगी. इसमें भारत सहित दुनिया भर के 500 रिसर्चर हिस्सा लेने पहुंच चुके हैं. जर्मनी का भारत पर खास ध्यान है. शिक्षा मंत्री भारत के साथ हर क्षेत्र में सहयोग को जरूरी बताते हुए कहती हैं, "रिसर्च का मतलब सिर्फ तकनीक नहीं होता. तकनीक बहुत प्रभावी होता है. लेकिन हमें इसके अलावा मानव संसाधन, संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र में सहयोग की जरूरत है ताकि मानव संसाधन और तकनीक को साथ लाया जा सके. जर्मनी और भारत के बीच सहयोग की यह खास जरूरत है."
उन्होंने तकनीक के क्षेत्र में भारत सहित विकासशील देशों की सराहना करते हुए कहा, "पूरी दुनिया से युवा वैज्ञानिक आते हैं और पहली नजर में पता ही नहीं चलता है कि कौन कहां से आया है. वे सभी बेहद प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हैं."
ये युवा वैज्ञानिक और रिसर्चर हफ्ते भर लिंडाऊ शहर में रहेंगे और विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल जीत चुके वैज्ञानिकों से चर्चा करेंगे.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ, लिंडाऊ (जर्मनी)
संपादनः महेश झा