सिख परिवार के इर्द गिर्द रॉलिंग
२८ सितम्बर २०१२लंदन में पत्रकारों से बात करते हुए 47 साल की रॉलिंग ने बताया कि वह करीब 25 साल की थीं जब एक सिख महिला से उनकी दोस्ती हुई. इस दोस्ती के कारण उन्हें सिख धर्म को समझने का और करीब से देखने का मौका मिला. उन्होंने सिख धर्म के बारे में जो भी सीखा वह हमेशा उनके साथ रहा और इसीलिए अपनी किताब में जब एक अश्वेत परिवार को रचने की बारी आई तो उन्होंने एक सिख परिवार के बारे में ही सोचा.
कहानी में यह सिख परिवार इंग्लैंड के छोटे से गांव पगफोर्ड का रहने वाला है. रॉलिंग बताती हैं, "मैं चाहती थी कि यह सिख परिवार पगफोर्ड में मुख्य भूमिका में दिखे. साथ ही मैं यह चाहती थी कि वह ब्रिटेन में रहने वाली भारत की दूसरी पीढ़ी हो. इस तरह से वह वहां के रहने वाले भी हैं और बाहर के भी." रॉलिंग ने किताब में सिख धर्म की बारीकियों पर काफी ध्यान दिया है, "इस किताब में नैतिकता का पाठ सिख धर्म पढ़ाता है, इंग्लैंड का चर्च नहीं."
भारतीय पाठकों को भी रॉलिंग के किरदार काफी पसंद आ रहे हैं. किताब में जगह जगह गुरु नानक देव, गुरु ग्रंथ साहिब, खालसा पंथ और शाम के कीर्तन का जिक्र किया गया है. पंजाब में पली बढ़ी और लंदन में मीडिया सलाहकार मिमी जैन का कहना है, "मैं यह देख कर काफी हैरान हुई की जेके रॉलिंग ने बहुत अच्छी तरह रिसर्च किया है. अक्सर पश्चिमी लेखक उत्तरी और दक्षिण भारतीयों के नाम में गड़बड़ कर देते हैं या फिर हिन्दू और मुस्लिम नामों में भी, क्योंकि वे केवल भारत का नाम ले कर अपनी किताब में थोड़ा मसाला डाल देना चाहते हैं. लेकिन यहां ऐसा नहीं है."
आलोचकों का मानना है की रॉलिंग केवल बच्चों के लिए ही किताबें लिख सकती हैं. इस बात को चुनौती देते हुए वह इस किताब के साथ दुनिया के सामने आई हैं. अब 'द कैजुअल वेकेंसी' नाम की इस किताब से उनकी रचनात्मकता की परख होगी. इस किताब को ले कर जोर शोर से प्रचार किया गया, लेकिन रिलीज होने से पहले तक कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी. यहां तक की रिलीज से कुछ मिनट पहले तक दुकानों में किताब पर चढ़ा प्लास्टिक तक उतारने से मना किया गया. इतना जरूर कहा गया कि यह बच्चों की किताबों से अलग बड़े लोगों की दुनिया पर आधारित है जिसमें सेक्स और ड्रग्स जैसे विषयों का भी इस्तेमाल किया गया है. रॉलिंग ने इस बीच कहा है की उन्हें आलोचकों की प्रतिक्रियाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता.
आईबी/एएम (पीटीआई)