"सिर्फ 50 शतकों पर न रूकें तेंदुलकर"
३० नवम्बर २०१०फ्लिंटॉफ सचिन की प्रशंसा करते हुए कहते हैं, "वह अदभुत व्यक्तित्व के धनी और सफल खिलाड़ी हैं. इतने लंबे समय तक खेलना और रनों का अंबार लगाना हैरान कर देने वाला है. वह उन लोगों में शामिल हैं जिनकी मैं इज्जत करता हूं. मुझे याद है कि मैं लंकाशायर की अंडर-13 टीम में खेल रहा था और वह टेस्ट क्रिकेट में शुरूआत कर रहे थे. वह मुझसे सिर्फ चार साल बड़े थे लेकिन अब तक खेल रहे हैं. मैं उन्हें आउट करना चाहता था, प्रभावित करना चाहता था. उनसे इज्जत पाना चाहता था. मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं. मैं चाहता हूं कि सचिन सिर्फ 50 शतकों पर न रूकें बल्कि शतक बनाते जाएं."
2008 मुंबई हमलों के बाद की याद ताजा करते हुए फ्लिंटॉफ ने कहा कि हमले के बाद इंग्लैंड टीम भारत से चली गई थी लेकिन सीरीज खेलने के लिए लौट आई. "हमने वापसी की उड़ान भरी और यह फैसला लिया गया कि हम चेन्नई में खेलेंगे. मैच पर इंग्लैंड की पकड़ थी और हमें लग रहा था कि हम मैच जीत जाएंगे. लेकिन सचिन के इरादे कुछ और थे. उन्होंने शतक जड़ दिया. मुझे हारना कभी अच्छा नहीं लगता लेकिन उस दिन यह देखना बेहद अच्छा रहा कि मुंबई के सचिन ने ऐसी पारी खेली. मैच के बाद सचिन ने इंग्लैंड के खिलाड़ियों का शुक्रिया अदा किया क्योंकि हम मैच खेलने के लिए भारत लौटे थे. वह सभी के लिए भावुक कर देने वाला क्षण था."
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हमले के बाद इंग्लैंड की क्रिकेट टीम भारत का दौरा बीच में छोड़ कर वतन लौट गई थी. लेकिन बाद में वह भारत आई और टेस्ट सीरीज को खेला गया. फ्लिंटॉफ सचिन के बड़े प्रशंसक हैं और चाहते हैं कि तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने वाले कई सालों तक खेलते रहे.
ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन के साथ सचिन की तुलना पर फ्लिंटॉफ कहते हैं कि वह कभी ब्रैडमैन के साथ नहीं खेले इसलिए कुछ कह नहीं सकते. खेल में महान खिलाड़ियों की तुलना करना सही नहीं होता. आधुनिक क्रिकेट में सचिन ही सर्वश्रेष्ठ हैं. फ्लिंटॉफ मानते हैं कि मौजूदा भारतीय खिलाड़ियों में कई के रिटायर हो जाने से क्रिकेट टीम में खालीपन आ जाएगा जिसे भरना मुश्किल होगा. हालांकि वह आश्वस्त करते हैं कि भारत को अभी इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एमजी