सीरिया के संघर्ष में कूद सकता है जर्मनी
१० सितम्बर २०१८जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड त्साइटुंग की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के बीच सीरिया पर हवाई हमले करने को लेकर चर्चा चल रही है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस मिलकर सीरिया में हमले की तैयारी कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने जर्मनी की विदेश मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायन से हमले में शामिल होने की दरख्वास्त की है. दोनों देशों के उच्च स्तरीय मंत्रालयों और सैन्य अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है.
माना जा रहा है कि जर्मनी के टोरनैडो फाइटर जेट अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ सीरिया मिशन में शामिल हो सकते हैं. इससे पहले आखिरी बार 1990 के दशक में जर्मन सेना ने बालकन युद्ध के दौरान विदेश जमीन पर बम गिराए थे.
हालांकि हवाई हमलों में शामिल होने के लिए जर्मनी ने एक शर्त रखी है. पश्चिमी देशों का आरोप है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने अप्रैल 2018 में डूमा में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. रासायनिक हमले में 70 से ज्यादा लोग मारे गए. रासायनिक हमले के आरोप के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया सरकार के तीन ठिकानों पर बमबारी की थी. सीरियाई राष्ट्रपति के समर्थन में खड़ा रूस रासायनिक हमले के आरोपों को खारिज करता रहा है. अगर जर्मनी हवाई हमलों में शामिल हुआ तो वह रूस से सीधे टकराव का जोखिम मोल लेगा.
जर्मन रक्षा मंत्रालय को आखिरी मंजूरी चासंलर अंगेला मैर्केल से लेनी होगी. मैर्केल पहले कह चुकी हैं कि जर्मनी सीरिया में किसी सैन्य अभियान में शामिल नहीं होगा. मैर्केल ने यह बयान रासायनिक हथियारों के आरोपों से पहले दिया था. फिलहाल जर्मनी की सेना सीरिया में सक्रिय है लेकिन किसी युद्ध मिशन में शामिल नहीं है.
मैर्केल की पार्टी सीडीयू के साथ गठबंधन में शामिल एसपीडी सीरिया में किसी भी तरह के युद्ध में शामिल होने का विरोध कर रही है. एसपीडी की चैयरमैन आंद्रेया नालेस का कहना है कि, "एसपीडी जर्मनी को सीरिया के युद्ध में शामिल होने की इजाजत नहीं देगी, न तो संसद में और न ही सरकार में."
जर्मनी के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने बिल्ड त्साइटुंग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है. दोनों मंत्रालयों ने यह जरूर कहा है कि वे "अपने अमेरिकी साझेदारों के साथ गहरे संपर्क में हैं." दोनों मंत्रालयों को लगता है कि अगर रासायनिक हथियार इस्तेमाल हुए हैं तो सीरिया का संकट थमने की जगह और गंभीर होने जा रहा है.
सीरिया में 2011 से गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है. अरब बंसत के बाद शुरू हुए संघर्ष में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
(सीरिया पर हमला: कौन किसके साथ?)
निकोल गोएबेल/ओएसजे