सीवीसी मामले पर 27 जनवरी तक की मोहलत
६ दिसम्बर २०१०अदालत ने थॉमस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही. अदालत ने इस बारे में केंद्र सरकार और सीवीसी को नोटिस भी जारी किए हैं.
थॉमस का नाम एक घोटाले की चार्जशीट में लिया गया है. 1991 में केरल में पामोलीन के आयात में करोड़ों का घोटाला होने के आरोप हैं. थॉमस 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले के दौरान केंद्रीय संचार सचिव भी रहे. केंद्र सरकार को सीवीसी के पद पर थॉमस की नियुक्ति को लेकर तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने थॉमस की नियुक्ति का विरोध किया.
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपों से घिरे किसी व्यक्ति को कैसे देश के सबसे अहम पदों में से एक पर बिठाया जा सकता है. वहीं थॉमस इस बात पर कायम है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं है. वह खुद को निर्दोष बताते हुए इस्तीफा देने से इनकार करते हैं.
चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा, "हमने फाइल को पूरी तरह पढ़ लिया है, मामले पर अंतिम फैसला सुनाया जाना बाकी है." अदालत ने थॉमस की नियुक्ति पर खुद उनसे और सरकार से जवाब मांगा है.
अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने सरकार की तरफ से नोटिस स्वीकार किया लेकिन थॉमस की तरफ से उन्होंने नोटिस लेने से इनकार कर दिया. थॉमस की नियुक्ति को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंस्टरेस्ट लिटिगेशन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने जब कहा कि वाहनवती सरकार और थॉमस की तरफ से नोटिस स्वीकार कर सकते हैं तो अटॉर्नी जनरल ने कहा, "मैं थॉसम की तरफ से नोटिस नहीं स्वीकार कर सकता."
अटॉर्नी जनरल ने नोटिस का जवाब देने के लिए छह हफ्तों का समय मांगा है. भूषण ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पद से जुड़ा गंभीर मामला है और वह इस पर पहले से ही कार्यवाही चाहते थे. वह खुद थॉमस को मंगलवार तक नोटिस भेज देंगे. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख तय की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़