सुपर बस देगी बीजिंग ट्रैफिक को राहत
२५ अगस्त २०१०चीन की राजधानी बीजिंग के पश्चिमी हिस्सों में जल्द ही इस बस का परीक्षण किया जाएगा. यह बस रेल ट्रैक पर चलती है और इसके नीचे ट्रैफिक को दो लेन मिल जाती हैं. इस सुपर बस में 1400 लोग बैठ सकते हैं. डिजाइन फर्म 'शेनजेन हाशी फ्यूचर पार्किंग इक्विपमेंट्स' के सीईओ सोंग यूजोहू बताते हैं, "हम इस साल के आखिर तक छह किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाने का काम शुरू करने जा रहे हैं. अगले साल की दूसरी छमाही में हम यात्रियों के साथ इस बस का परीक्षण शुरू कर देंगे." एक साल तक इसका परीक्षण करने के बाद ही अधिकारी इस बात का फैसला करेंगे कि इस योजना को पूरे शहर के लिए मंजूर किया जाए या नहीं.
सोंग बताते हैं कि उनकी कंपनी चीन में कार बनाने वाली तीन कंपनियों के साथ इको फ्रेंडली बसें बनाने के बारे में बातचीत कर रही है. ये बसें सोलर पावर और बिजली दोनों से चलेंगी. सोंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि अधिकारी बाद में 180 किलोमीटर लंबी लाइनें बिछाने की उम्मीद कर रहे हैं. इनमें एक रूट एयरपोर्ट को शहर से जोड़ेगा. कंपनी का मानना है कि यह सुपर बस शहर के भारी भरकम ट्रैफिक को 30 फीसदी तक कम कर पाएगी क्योंकि यह सड़कों का इस्तेमाल नहीं करेगी. लेकिन इसके लिए खास ट्रैक बिछाने होंगे, ऊंचाई पर नए बस स्टॉप बनाने होंगे और नए ट्रैफिक सिग्नल भी तैयार करने होंगे.
एक परेशानी यह भी है कि इस बस के नीचे से मध्यम आकार की गाड़ियां ही गुजर पाएंगी. यानी चालकों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. हालांकि अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें एक अलार्म लगाया जाएगा. अगर कोई बड़े आकार का वाहन बस के नीचे से गुजरने की कोशिश करेगा तो यह अलार्म बज उठेगा. सोंग कहते हैं कि सभी संभव दिक्कतों को जानने के लिए बसों का असल परिस्थितियों में परीक्षण करना होगा.
सरकारी डेटा के मुताबिक इस साल के आखिर तक बीजिंग में 50 लाख कारें हो जाएंगी. पिछले साल दिसंबर में 40 लाख का आंकड़ा पार हो चुका है. बीजिंग ट्रांसपोर्ट रिसर्च सेंटर के मुखिया गुओ जिफू ने इसी हफ्ते चेतावनी दी थी कि अगर कारों की संख्या को काबू में लाने के कदम नहीं उठाए गए तो शहर में ट्रैफिक की औसत रफ्तार 15 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी नीचे चली जाएगी.
फिलहाल बीजिंग में हफ्ते में एक दिन के लिए निजी कारों को सड़कों से दूर रखा जाता है. यह शहर दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में आता है और यह समस्या बढ़ती ही जा रही है क्योंकि यहां निजी वाहनों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपादनः महेश झा