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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कैसे फैसला लेती है सरकार?

३ फ़रवरी २०१२

भारत के थल सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने अपनी उम्र पर कानूनी जंग का पहला दौर जीत लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उनकी संवैधानिक शिकायत खारिज करने पर सवाल उठाते हुए उसे, "विकृत मालूम पड़ता" कहा है.

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तस्वीर: DW

सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी का दिन तय करते हुए सरकार से पूछा है कि क्या वह अपने 30 दिसंबर 2011 के फैसले को वापस लेना चाहेगी. भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी ने 30 दिसंबर को आदेश जारी किया था, जिसमें जनरल सिंह की संवैधानिक शिकायत को खारिज कर दिया गया. जनरल सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि सेना की दस्तावेज में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 की बजाय 10 मई 1951 मानी जानी चाहिए.

Flash-Galerie Oberstes Gericht in Indien
तस्वीर: CC-BY-SA-3.0 LegalEagle

सरकार पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरएम लोढा और एचएल गोखले की बेंच ने राय दी है कि रक्षा मंत्रालय ने 21 जुलाई 2011 को सेना प्रमुख की जन्मतिथि 10 मई 1950 रखने की बात अटॉर्नी जनरल की सलाह पर कही. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 30 दिसंबर का फैसला भी इसी सलाह के आधार पर जारी हुआ.

सुप्रीम कोर्ट के सरकार से सवाल पूछने के बाद अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा कि वो सरकार से इस मसले पर निर्देश हासिल करेंगे. उधर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर सरकार 30 दिसंबर वाले अपने आदेश को वापस ले ले तो उसके पास जनरल सिंह के लिए दूसरे उपाय भी मौजूद हैं. कोर्ट का कहना है कि 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ जनरल सिंह की संवैधानिक शिकायत पर प्रशासन विचार कर सकता है या फिर उनके पास आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल में जाने का भी विकल्प है.

सुनवाई के दौरान बेंच ने माना कि जब यह कह दिया गया कि जनरल सिंह की शिकायत सुने जाने लायक नहीं है तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार के फैसला लेने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा, "हम इस फैसले से नहीं बल्कि फैसले की प्रक्रिया से चिंतित हैं, जो विकृत है क्योंकि 21 जुलाई का आदेश अटॉर्नी जनरल की राय पर लिया गया और जब 30 दिसंबर को सेना प्रमुख की संवैधानिक शिकायत पर फैसला हुआ तो वह भी अटॉर्नी जनरल की राय पर लिया गया." सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि यह मामला सामान्य न्याय के सिद्धांत के आधार पर उचित नहीं ठहरता.

अटॉर्नी जनरल और सॉलीसिटर जनरल ने सरकार के कदम का वचाव किया है और कहा कि जनरल सिंह के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है. उधर कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जनरल सिंह के वकील पुनीत बाली ने कहा कि वह निश्चित रूप से फैसले से खुश हैं लेकिन वो इसके गुणदोषों पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि मामला न्यायालय के विचाराधीन है.

भारत के थल सेना प्रमुख की उम्र को लेकर पिछले कुछ महीनों से विवाद है. सेना के दस्तावेजों में दर्ज उनकी जन्मतिथि उनके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दर्ज तिथि से मेल नहीं खाती. इसमें एक वर्ष का अंतर है और इसकी वजह से उनकी रिटायरमेंट की तारीख बदल सकती है.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ए जमाल