सुरक्षा परिषद के कठघरे में इस्राएल
१ जून २०१०तुर्की के विदेश मंत्री अहमेत दावुतोगलु ने इस्राएल को गंभीर अपराध का दोषी ठहराया. सुरक्षा परिषद की फ़ौरी बैठक में उन्होंने कहा कि इस क़दम को कतई माफ़ नहीं किया जा सकता व उसे किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराया जा सकता. अमेरिकी प्रतिनिधि आलेजांद्रो वोल्फ़ ने एक ओर जहां इस घटना पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, वहीं दूसरी ओर उनका कहना था कि मानवीय मदद के बेहतर तरीके हो सकते हैं.
यहां तक कि ब्रिटेन की ओर से भी इस्राएल के हमले की निंदा की गई है. ब्रिटिश राजदूत मार्क लायल ग्रांट ने इस्राएल से मांग की कि कि वह लोगों की मौत की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दे. साथ ही उनका कहना था कि भूमध्यसागर की इस घटना को अलग करके नहीं देखा जा सकता. इससे स्पष्ट हो गया है कि इस्राएल को गज़ा पट्टी की नाकेबंदी ख़त्म करनी पड़ेगी.
संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल के उप राजदूत मानुएल कार्मन ने अपने देश का बचाव करते हुए कहा कि यह बेड़ा कोई मानवीय मिशन नहीं था. वे इस्राएल को उकसाने की कोशिश कर रहे थे. साथ ही उन्होंने कहा कि गज़ा पट्टी में कोई मानवीय त्रासदी नहीं है.
राहतकर्मियों के साथ मुठभेड़ में इस्राएली सेना की गोलियों से कम से कम दस लोगों की मौत हो गई थी.
इस बीच पता चला है कि राहतकर्मियों के बीच मौजूद जर्मनी की वामपंथी पार्टी को दोनों सांसद सकुशल हैं. जर्मन सरकार द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि उनके दल में मौजूद दस जर्मन नागरिकों में से पांच सकुशल हैं. बाक़ी लोगों के बारे में कोई निश्चित सूचना नहीं दी गई है. जर्मन विदेश मंत्रालय इन नागरिकों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है.
वामपंथी पार्टी के सूत्रों ने कहा है कि उनके सांसदों को जर्मन दूतावास के साथ टेलीफ़ोन पर बातचीत करने की अनुमति तो दी गई है, लेकिन उन्हें किसी अज्ञात स्थान में ले जाया गया है और अभी तक दूतावास के प्रतिनिधियों सहित किसी से भी मिलने की इजाज़त नहीं दी गई है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने मांग की है कि इस्राएल गज़ा पट्टी की नाकेबंदी ख़त्म करे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा कि इसे किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता है. इस बीच सारी दुनिया में इस्राएल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ओ सिंह