सू ची की रिहाई का एक साल, अब चुनाव की तैयारी
१२ नवम्बर २०११शनिवार को उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के एक प्रवक्ता ने बताया है कि सू ची आने वाले उप चुनावों में खड़ी हो सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो दो दशक बाद वह चुनावी राजनीति के मैदान में उतरेंगी.
कब, कहां और कैसे
पिछले साल म्यांमार में दो दशक बाद चुनाव हुए थे. लेकिन एनएलडी ने चुनावों का बहिष्कार किया था. इसके बाद उसकी मान्यता रद्द कर दी गई. लेकिन अब एनएलडी दोबारा रजिस्टर कराने पर विचार कर रही है क्योंकि म्यांमार के राष्ट्रपति ने हाल ही में नामांकन नियमों में बदलाव किया है.
एनएलडी के प्रवक्ता न्यान विन ने कहा, "पार्टी नामांकन करा सकती है. और साथ ही माननीय सू आने वाले उप चुनावों में हिस्सा ले सकती हैं." अभी यह साफ नहीं है कि उप चुनाव कब होंगे. लेकिन संसद के दोनों सदनों में 40 से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं.
आने वाले शुक्रवार को पार्टी के 100 वरिष्ठ नेता राजधानी रंगून में जमा हो रहे हैं. तब पार्टी को दोबारा रजिस्टर कराने का फैसला लिया जा सकता है. न्यान विन ने यह तो नहीं बताया कि सू ची किस सीट से चुनाव लड़ेंगी और वह किस तरह का पद पा सकती हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि वह रंगून शहर से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं.
पिछली बार सू ची ने 1990 में चुनाव लड़ा था. तब उनकी पार्टी एनएलडी को भारी जीत मिली थी. लेकिन उसे सत्ता में नहीं आने दिया गया. पिछले साल पार्टी ने इसलिए चुनावों का विरोध किया क्योंकि एक नियम के मुताबिक पार्टी को अपने वे सारे सदस्य निकालने पड़ते जो जेल में रहे हैं. तब सू ची भी घर में नजरबंद थीं.
कैसे बीता एक साल
सू ची ने पिछले 22 सालों में से 15 साल कैद में गुजारे हैं. 66 साल की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सू ची को पिछले साल चुनाव हो जाने के बाद ही रिहा किया गया. इस एक साल में बर्मा में बड़े बदलाव हुए हैं. हालांकि चुनाव के बाद सत्ता देश के सैन्य शासक जुंटा की समर्थक पार्टी को ही मिली, लेकिन इस सरकार ने कई सुधारवादी कदम उठाकर आलोचकों को हैरान किया है. सरकार ने एक विशाल बांध बनाने की योजना को बंद कर दिया. लोग इस बांध का लंबे समय से विरोध कर रहे थे. इस परियोजना को बंद करने का मतलब पुराने सहयोगी चीन को आंखें दिखाना था. लेकिन सरकार ने ऐसा किया. इसके अलावा सू ची से सीधी बातचीत भी शुरू की गई.
म्यांमार की आजादी की लड़ाई के नायक आंग सान की बेटी सू ची को देश में द लेडी के नाम से जाना जाता है. और उनकी रिहा होने के बाद का एक साल देश के लिए बड़े बदलावों वाला रहा है. वहां की चुनी गई सरकार में अब भी पूर्व सैन्य अफसरों की भरमार है. लेकिन सितंबर महीने में उसने कहा कि अगर सू ची की पार्टी आधिकारिक तौर पर राजनीति में आती है तो सू ची के साथ मिलकर काम किया जा सकता है.
आगे क्या
शुक्रवार को ही अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि म्यांमार को देश में मानवाधिकारों की स्थिति सुधारने के लिए और बहुत कुछ करने की जरूरत है. हवाई में एशिया पैसिफिक सम्मेलन से पहले उन्होंने कहा, "हमारी मांग है कि देश के सारे राजनीतिक कैदियों को बिना शर्त रिहा किया जाए और नस्लीय अल्पसंख्यक इलाकों में हिंसा रोकी जाए."
पिछले एक साल में बड़ा बदलाव यह हुआ है कि राजनीतिक पार्टियों के नामांकन के लिए बने कानून में फेरबदल किया गया है. राष्ट्रपति थेन सिन के समर्थन से हुए इस फेरबदल के बाद अब पार्टियों पर से 2008 के संविधान को मानने की शर्त हटा ली गई है.
थाईलैंड के थिंकटैंक वाहू विकास संस्थान में म्यांमार के विशेषज्ञ आंग नाइंग ओ कहते हैं कि एनएलडी अगर राजनीति में लौटती है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ देश के संबंध सुधरेंगे. वह कहते हैं, "यह बर्मा के लिए बहुत बहुत जरूरी है. 23-24 साल में पहली बार उसे एक सामान्य देश के रूप में देखा जाएगा."
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपादनः एन रंजन