सूरज के पास जाएगा सैटेलाइट
२८ अप्रैल २०१२एजेंसी ने इस उपग्रह के लिए ब्रिटेन की तकनीकी फर्म एस्ट्रीयम को ठेका दिया है. उपग्रह को 2017 की जनवरी में भेजा जाएगा और इस प्रोजेक्ट के लिए 30 करोड़ यूरो खर्च होगा. उपग्रह सूर्य के बेहद पास यानी करीब साढ़े चार करोड़ किलोमीटर की दूरी तक पहुंच जाएगा. पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी इससे लगभग तीनगुनी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है.
प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक डैनियल मूलर का कहना है कि उपग्रह का आकार करीब आठ घन मीटर होगा और इसे पृथ्वी के मुकाबले सूर्य की रोशनी दसगुना ज्यादा झेलनी होगी. उन्होंने बताया, "इस उपग्रह पर जो परत चढ़ी होगी, उसे लगभग 500 डिग्री सेंटीग्रेट की गर्मी बर्दाश्त करनी है. यह हिस्सा सूरज की तरफ होगा. दूसरी तरफ के हिस्से में उतना ही तापमान होगा, जितना हमारे आस पास होता है."
उपग्रह की परत लगभग एक फीट मोटी होगी और इसे टिटानियम या कार्बन फाइबर से तैयार किया जाएगा. इसका काम सौर पवन की भूमिका का अध्ययन करना होगा, जिसकी वजह से उपग्रह प्रभावित होते हैं. यह इस बात का भी पता लगाने की कोशिश करेगा कि सूरज का चुंबकीय क्षेत्र कैसे तैयार होता है.
यह मिशन कम से कम सात साल तक चलेगा. करीब 1800 किलो का उपग्रह 2020 तक पूरी तरह से अपना काम करने लगेगा. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसकी मदद से यह पता लग पाएगा कि सुपरसोनिक किरणों की मदद से सूरज किस तरह से पूरे सौरमंडल को प्रभावित करता है. इसके अलावा यह भी पता लगाने में मदद मिल सकती है कि सूरज के चुंबकीय प्रभाव से किस तरह पृथ्वी के उपकरण प्रभावित होते हैं.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए के विज्ञान और रोबोटिक विभाग के प्रमुख अलवारो गिमिनेज कनाटे का कहना है, "यह एक शानदार मिशन होगा. इसकी मदद से हमें सूरज की अलग अलग खासियत का पता लगाने में मदद मिलेगी, जिसका पृथ्वी के जीवन से सीधा संबंध है." इस पूरे प्रोजेक्ट में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी योगदान होगा.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ (एएफपी)
संपादनः महेश झा