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सूरज पर शुक्र का काला टीका

५ जून २०१२

मंगलवार और बुधवार को ग्रह, नक्षत्रों और ब्रह्मांड में रुचि रखने वालों के लिए खास दिन हैं. इस दिन सदी का सबसे ऐतिहासिक ग्रहण होने वाला है. शुक्र सूर्य और धरती के बीच से होकर गुजरने वाला है.

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तस्वीर: AP

यह एक ऐसी घटना है जो इसके बाद 2117 में होगी. वैसे तो हर आठ साल बाद शुक्र धरती और सूरज के बीच से निकलता है लेकिन वह ऐसी जगह से गुजरता है कि जहां वह सूरज पर धब्बा नहीं बनता.

लेकिन मंगलवार और बुधवार को शुक्र सूरज पर एक छोटे से काले धब्बे के रूप में नजर आएगा. जैसे जलते हुए लैंप पर कोई कीड़ा बैठा हो. वैज्ञानिक और लेखक मार्क एंडरसन कहते हैं, "शुक्र का गुजरना हमें एक अलग तरीके से यह सिखाता है कि सूरज कितना सामान्य है. बिलकुल किसी और तारे की तरह. और नम्रता का अनुभव भी होता है कि हम भी एक ऐसा ही ग्रह हैं जो किसी तारे का चक्कर लगा रहे हैं. किसी और सौरमंडल में ब्रह्मांड के किसी कोने में शायद कोई और ग्रह चक्कर लगा रहा होगा.

जीएमटी के हिसाब से मंगलवार रात 22:09 पर शुरू होने वाली यह घटना छह घंटे 40 मिनट रहेगी.

Planet Venus
शुक्र ग्रहतस्वीर: picture-alliance/WALX

अंटार्टिका सहित सात महाद्वीपों पर शुक्र की यह यात्रा देखी जा सकती है. लेकिन आंखों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि सोलर फिल्टर वाली दूरबीनों से इसे देखा जाए. इतना ही नहीं इंटरनेट पर इसके लाइव वीडियो, फोटो, ब्लॉग उपलब्ध रहेंगे. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अंतरिक्ष यात्री भी इस घटना को देखेंगे. स्पेस स्टेशन के फ्लाइट इंजीनियर डॉन पेटिट ने कहा, "मैं काफी समय से इसकी योजना बना रहा हूं. मैं जानता था कि शुक्र का गुजरना मेरी परिक्रमा के दौरान होगा. इसलिए मैं सोलर फिल्टर साथ लेकर आया हूं."

सूर्य ग्रहण जैसी तस्वीरें इस घटना के दौरान नहीं आएगी. लेकिन शुक्र को जानने के लिए कई तरह के प्रयोग इस दौरान किए जाएंगे.

शुक्र का वातावरण

धरती के इतने नजदीक से गुजरने वाले शुक्र के वायुमंडल की मोटाई नापी जा सकेगी. इतना ही नहीं इस डेटा का उपयोग दूसरे ग्रहों के वायुमंडल की मोटाई नापने की प्रणाली बनाने के लिए भी किया जा सकेगा. इस शोध से यह भी पता चल सकेगा कि एक जैसा आकार और सूरज से एक जैसी दूरी वाली धरती व शुक्र के वायुमंडल में इतना फर्क क्यों है.

Der Planet Venus als schwarzer Punkt im Bild
सूरज पर दिखाई देता शुक्र का काला धब्बातस्वीर: picture-alliance/dpa

शुक्र का वायुमंडल धरती से 100 गुना घना है और इसमें अधिकतर कार्बन डाइ ऑक्साइड है. यह एक ग्रीन हाउस गैस है जो शुक्र को इतना गर्म कर देती है कि उसकी सतह का तापमान 482 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. मौसम तो बहुत ही बुरा है, सल्फ्यूरिक एसिड के बादल बनते हैं जो ग्रह के आस पास 220 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से घूमते हैं और लगातार अम्लीय बारिश का कारण बनते हैं.

वैज्ञानिक शुक्र के बारे में जानने के लिए आतुर हैं क्योंकि इसके कारण धरती के मौसम में होने वाले बदलावों को भी पढ़ा जा सकेगा. इससे पहले शुक्र के संक्रमण के दौरान वैज्ञानिक सौरमंडल का आकार जानने में सफल हुए थे और सूरज और अन्य ग्रहों के बीच दूरी भी. मंगलवार का संक्रमण टेलीस्कोप की खोज होने के बाद से आठवां है. अगली बार यह घटना अब सीधे 105 साल बाद 10.11.2117 में होगी.

यूरोप के वीनस एक्सप्रेस से मिले आंकड़ों को कई अन्य डेटा से मिलाया जाएगा. ताजे आंकड़े नासा की सोलर डायनामिक ऑब्सर्वेटरी और यूरोप व जापान से जुटाई जानकारियों से मिलाए जाएंगे.

वीनस प्रेम की देवी

वीनस रोमन साम्राज्ञी थी जिसके नाम पर इस ग्रह को नाम मिला. वीनस प्रेम की देवी भी कहलाती हैं. वहीं भारतीय संस्कृति, ज्योतिष में इसे प्रेम, वासना, शारीरिक सुखों का कारक माना जाता है. पुराणों में शुक्र दैत्यों के गुरु कहे जाते हैं. ज्योतिष के शुक्र का कुछ असर होता है या नहीं ये बहस का मुद्दा है लेकिन एक बात तो तय है कि शुक्र के बारे में जो गुलाबी कल्पनाएं थी वह एक एक करके धराशायी हो गई. काफी लंबे समय तक माना जाता रहा कि धरती और शुक्र एक जैसे ग्रह हैं और वहां जीवन संभव है. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. चूंकि सूरज से नजदीक दूसरा ग्रह शुक्र ही है इसलिए वैज्ञानिकों का आकर्षण उसमें होना स्वाभाविक था. पूर्वी सोवियत संघ और अमेरिका ने इक्कीस मानव रहित अतंरिक्ष यान वहां भेजे. इनमें से ज्यादातर फेल रहे. हालांकि 1970 में भेजे गए वेनेरा-7 ने पहली सफल लैंडिंग शुक्र पर की. इस यान ने जो डेटा भेजा उसने लोगों को हैरान कर दिया. ब्रिटेन के रॉयल एस्ट्रॉनोमिकल सोसायटी के नोट्स कहते हैं, "कोई भी अंतरिक्ष यात्री अगर वहां गया तो वह पिस जाएगा, भुन जाएगा, उसका दम घुट जाएगा और वह घुल जाएगा."

Venus zieht an der Sonne vorüber
लोग इस सदी की घटना को देखने के लिए बेसब्रतस्वीर: picture-alliance/dpa

शुक्र के बारे में जानकारी

शुक्र को भोर का तारा भी कहा जाता है. चांद के बाद सबसे ज्यादा चमकने वाला ग्रह.

कक्षाः सूरज से दूसरा ग्रह. कोई चांद नहीं. सूरज से औसतन दूरी 108.2 लाख किलोमीटर है. वीनस का साल हमारे 224 दिन के बराबर है.

व्यासः 12,100 किलोमीटर

गुरुत्वाकर्षणः धरती से कम. हमारे गुरुत्वाकर्षण का .99 फीसदी. शुक्र का वायुमंडलीय दबाव धरती से 90 गुना ज्यादा है.

तापमानः 457 डिग्री सेल्सियस.

रिपोर्टः आभा मोंढे (रॉयटर्स, एएफपी)

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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