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सेंसरशिप के बावजूद चीन में बढ़ रहा है इंटरनेट

१७ जनवरी २०१२

चीन में 50 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े हैं और उनमें से आधे ट्विटर जैसे माइक्रोब्लॉग वाइबो का इस्तेमाल करते हैं. लोगों में अत्यंत लोकप्रिय वाइबो गुस्सा व्यक्त करने का प्लेटफॉर्म है और सरकारी सेंसर के लिए परेशानी की वजह.

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इंटरनेट का उपयोगतस्वीर: AP

वाइबो का इस्तेमाल लोग अपने साथ होने वाले जुल्म या भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्से का इजहार करने के लिए कर रहे हैं. इसके अलावा इसका इस्तेमाल संगठित होने और विरोध की खबर को दूसरों तक पहुंचाने के लिए भी कर रहे हैं, जिसकी वजह से सूचना को रोकने के सरकारी प्रयासों के लिए नई चुनौती पैदा हो गई है.

लगभग साढ़े पांच करोड़ चीनियों ने 2011 में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल किया. यह संख्या ब्रिटेन की आबादी के बराबर है. इसके साथ इंटरनेट का उपयोग करने वाले चीनियों की संख्या सवा 51 करोड़ हो गई है. चीन में दुनिया में कहीं से भी ज्यादा इंटरनेट यूजर हैं.

चीन के इंटरनेट नेटवर्क इंफॉर्मेशन सेंटर (सीएननिक) के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि खासकर सोशल मीडिया नेटवर्क वाइबो का इस्तेमाल करने वाले चीनियों की संख्या में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है. 2010 के अंत में उनकी संख्या सवा छह करोड़ थी जो 2011 के अंत में बढ़कर 25 करोड़ हो गई है.

हांगकांग स्थित चाइना मीडिया प्रोजेक्ट में काम करने वाले डेविड बांदुर्स्की का कहना है, "चीनी अधिकारी इंटरनेट के बारे में बढ़ती मात्रा में चिंतित हैं क्योंकि यह बहुत ही विकेंद्रित माध्यम है और इस पर नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल है." उनका कहना है, "2005 से सूचना पर नियंत्रण का सारा फोकस परंपरागत मीडिया से हटकर इंटरनेट पर चला गया है."

चीन नियमित रूप से ग्रेट फायरबॉल ऑफ चाइना के नाम से विख्यात सेंसरशिप व्यवस्था के जरिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील समझी जाने वाली वेब सामग्रियों को ब्लॉक करता है. वह जनमत पर इंटरनेट के प्रभाव से बहुत चिंतित है. लेकिन वाइबो के यूजर्स ने रिपोस्ट के जरिए कंट्रोल से बचने का रास्ता निकाल लिया है.

समझा जाता है कि एक वाइबो यूजर ने ही जुलाई में हाइ स्पीड ट्रेन की दुर्घटना की खबर दी थी, जिसके बाद सरकार की व्यापक आलोचना हुई थी. दक्षिणी गांव वुकान में कम्युनिस्ट पदाधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की खबर भी सबसे पहले वाइबो पर आई और उसके बाद अधिकारियों ने मामले की जांच का फैसला लिया.

माइक्रोब्लॉग पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए शंघाई या बीजिंग जैसे शहरों में वाइबो के यूजर को अपने असली नाम के साथ रजिस्टर करना पड़ता है. इससे उनका पता करना आसान हो गया है. बांदुर्सकी का कहना है कि बहुत सारे फॉलोवर वाले कुछ हाइ प्रोफाइल वाइबो यूजरों पर दबाव बढ़ा है और उन्हें पिछले दिनों अधिकारियों की ओर से कई चेतावनी दी गई है.

सीएननिक के अनुसार वाइबो की बढ़ती लोकप्रियता के बीच ईमेल, वेब फोरम या ब्लॉग जैसे परंपरागत संचार साधनों का इस्तेमाल घटा है. देहातों में इंटरनेट के यूजरों में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन अभी भी गरीब और अमीर इलाकों के बीच अंतर बना हुआ है. पिछले साल बीजिंग के 79 प्रतिशत लोगों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया जबकि दक्षिण पश्चिम में देश के सबसे गरीब प्रांत गुईझाओ में सिर्फ 24.2 प्रतिशत लोग ऑनलाइन गए.

मोबाइल फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. 2011 में 35.6 करोड़ लोगों ने फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल किया जो एक साल पहले के मुकाबले सवा 5 करोड़ ज्यादा है. इस रिपोर्ट की सबसे मजेदार बात यह है कि स्कूली बच्चों और छात्रों का 30 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं लेता है जबकि सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों का सिर्फ 0.7 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करता है.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: प्रिया एसेलबॉर्न

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