सेकंड हैंड पेसमेकर भी हो सकते हैं जीवनदायी
२७ अक्टूबर २०११अमेरिकी शोध के मुताबिक हर साल 10 से 20 लाख लोगों को पेसमेकर नहीं मिल पाता और इस कारण उनकी मौत हो जाती है. पेसमेकर एक ऐसा उपकरण है जो दिल की धड़कन को इलेक्ट्रिक करंट से बनाए रखता है.
दुनिया के गरीब लोगों या देशों के लिए पेसमेकर का एक सबसे अहम स्रोत है उन अमेरिकी लोगों के चल रहे पेसमेकरों का दान जिनकी मौत हो जाती है. मिशिगन और इलिनॉइस में किए गए सर्वे के मुताबिक अमेरिका में मरने वालों में सिर्फ 19 फीसदी लोगों के ही पेसमेकर खराब होते हैं.
मृतकों के पेसमेकर या तो उनके साथ अक्सर दफ्न हो जाते हैं और अगर निकाले गए तो मेडिकल कचरा समझ के फेंक दिए जाते हैं. लेकिन बहुत छोटा हिस्सा संस्थाओं की मदद से दान में दिया जाता है.
अमेरिकी जरनल ऑफ कार्डियोलॉजी में टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर यूनिवर्सिटी के भरत कांठेरिया कहते हैं, "दान दिए हुए स्थायी पेसमेकर न केवल किसी का जीवन बचा सकते हैं बल्कि जरूरतमंद मरीज का जीवन स्तर भी सुधर सकता है."
कांठरिया और उनकी टीम के सदस्यों ने 122 पेसमेककर जमा किए जिनमें बैटरी आधे से ज्यादा बची हुई थी. इन्हें कम से कम तीन साल और इस्तेमाल किया जा सकता था. इन्हें पहले स्टरलाइज किया गया और फिर मुंबई भेज दिया गया. इन्हें फिर से स्टरलाइज किया गया और इन्हें 53 लोगों में लगाया गया.
भारत में नए पेसमेकर एक से सात लाख रुपये के बीच में आता है और इसमें डॉक्टर, अस्पताल की फीस शामिल नहीं होती यहां तक की पेसमेकर को लगाई जाने वाली वायरों की कीमत भी शामिल नहीं होती.
दो साल तक नियमित जांच के बाद पता चला कि जिन भी मरीजों में यह सेकेंड हैंड पेसमेकर लगाया वे सब ठीक हो गए. उनमें किसी तरह का संक्रमण नहीं हुआ और पेसमेकर में भी कोई गड़बड़ी देखने में नहीं आई.
जिन मरीजों को यह पेसमेकर लगाया गया उनमें से एक चौथाई बहुत दूर के गांवों में रहते थे जिनकी नियमित जांच नहीं हो पाई, लेकिन 55 में से 40 के स्वास्थ्य में सुधार आया और जीवन स्तर बेहतर हुआ. चार की मृत्यु हुई लेकिन उनके मरने का कारण पेसमेकर नहीं था. उम्मीद है कि यह उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद करेगी.
हालांकि कई मुश्किलें अब भी हैं. सबसे बड़ी है कि अमेरिका में मृत मरीजों का पेसमेकर मिले कैसे. और दूसरा है सुरक्षा के मामले में और अध्ययन. अमेरिका का फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) अमेरिका में सिर्फ एक बार पेसमेकर इस्तेमाल करने की इजाजत देता है. शोधकर्ता कोशिश कर रहे हैं कि एफडीए की अनुमति मिल जाए तो दूसरे देश में पेसमेकर रिसाइककल किए जा सकें.
एन आर्बर में मिशिगन यूनिवर्सिटी में काम करने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ थॉमास क्रॉफोर्ड कहते हैं कि यह स्टडी बताती है कि यह (पेसमेकर का फिर से इस्तेमाल) सुरक्षित है. लेकिन पक्की जानकारी नहीं है. क्रॉफोर्ड पेसमेकर विकासशील देशों में व्यापक स्तर पर ले जाना चाहते हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा मोंढे
संपादनः ए कुमार