सोमवार से हटेंगी रूसी सेनाएं- मेद्वेदेव
१७ अगस्त २००८मेद्वेदव से टेलिफोन पर हुई बातचीत में सार्कोजी ने साफ कहा कि अगर रूस ने युद्धविराम समझौते को जल्द से जल्द और पूरी तरह लागू नहीं किया तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे. खासकर यूरोपीय संघ के साथ रूस के रिश्ते पर इसका बहुत बुरा असर होगा. फ्रांस मौजूदा छह महीने के लिए यूरोपीय संघ का अध्यक्ष है. क्रेमलिन ने भी इस बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा है कि दक्षिणी ओसेतिया में मौजूदा तनाव शुरू होने के बाद रूसी शांति सैनिकों की मदद के लिए भेजे गए सैनिक सोमवार यानी सोमवार से लौटने लग जाएंगे.
हालांकि जॉर्जिया को रूस की बातों पर अब भी कम ही यकीन है. जॉर्जियाई सांसद डेविड डार्टशियाशविली का कहना है कि वे कहते हैं कि चले जाएंगे. लेकिन जाते नहीं. वे यहीं रहेंगे. लोगों में खौफ फैलाएंगे. अव्यवस्था फैलाएंगे. और अपने एजेंडे को जारी रखेंगे जिसका मकसद जॉर्जिया में सरकार को बदलना है.
उधर त्बिलीसी में जर्मन चासंलर अंगेला मेर्कैल के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जॉर्जियाई राष्ट्रपति मिखाइल साकाश्विली ने कहा कि जॉर्जिया से रूसी सैनिकों की वापसी अंतरराष्ट्रीय संगठनों की निगारानी में होनी चाहिए. रूसी नेताओं से मिलने के बाद जॉर्जिया के दौरे पर गई मैर्केल ने कहा कि रूसी सैनिकों की वापसी उतनी तेजी से नहीं हो रही है जितनी उम्मीद की गई थी. इसलिए रूस को इस काम तेजी लानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मौके पर उन्होंने कि हम समझते हैं कि जॉर्जिया संप्रभु देश है और उसकी क्षेत्रीय अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए. हमने 6 सूत्री युद्धविराम समझौता का समर्थन किया है जिस पर दोनों पक्षों हस्ताक्षर किए हैं. इसके बाद अब इस समझौते को जल्द से जल्द पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए. मैर्केल ने जॉर्जिया को नाटो का सदस्य बनाने की भी वकालत की है.
इस बीच जॉर्जिया ने आरोप लगाया है कि रूस जानबूझकर उसके जंगलों में आग लगा रहा है जिससे जॉर्जिया की राष्ट्रीय संपदा खतरे में पड़ सकती है. जबकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने इससे इनकार किया है.